अंबाला में सरकारी बोर्ड हटाने पर एफआईआर के आदेश:बेशकीमती जमीन पर लगा था बोर्ड, मंत्री ने पर्चा दर्ज कराने के दिए निर्देश

by Carbonmedia
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हरियाणा के अंबाला छावनी में बेशकीमती बर्फखाना की जमीन पर लगा नगर परिषद (नप) का बोर्ड गायब होने के मामले में अब प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने एफआईआर कराने के निर्देश दिए हैं। मंत्री ने खुद इसकी जानकारी आज पत्रकारों से बातचीत के दौरान दी। उन्होंने बताया कि उनको जानकारी मिली थी कि नगर परिषद द्वारा बर्फखाना रोड पर एक बेशकीमती जमीन को लेकर दो बोर्ड लगाए थे, जिसमें इस जमीन को सरकारी बताया था। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि रातों रात एक बोर्ड को यहां से गायब कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में अब एफआईआर से खुलासा होगा कि किसने यह बोर्ड हटाया है। विज ने बताया कि उन्होंने वीरवार को नगर परिषद के अधिकारियों की विकास कार्यों को लेकर रेस्ट हाउस में बैठक ली थी। बैठक में एसडीएम को एफआईआर दर्ज कराने लिए कह दिया गया है। एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच होगी कि यह बोर्ड किसने हटाया है। हालांकि अभी एक बोर्ड इस जमीन पर दूसरी साइड में लगा है, लेकिन बैंक रोड की ओर बर्फखाना की जमीन पर जो बोर्ड लगा था, उसे हटाने के बाद से मामला काफी उछला है। अभी तक यह मामला जांच प्रक्रिया में ही है, लेकिन बोर्ड को हटाने को लेकर तमाम सवाल भी उठ रहे हैं। फिलहाल एफआईआर दर्ज होने के बाद जांच में सामने आ जाएगा कि यह बोर्ड कब और किसने हटाया है। यह था पूरा मामला बर्फखाना की करीब पांच एकड़ जमीन पर की ढाई-ढाई एकड़ की दो रजिस्ट्रियां हैं। बताया जाता है कि इस जमीन को लेकर सौ करोड़ रुपये का सौदा हुआ है। हालांकि यह अभी चर्चाओं में हैं, जबकि इन चर्चाओं के बीच यह बेशकीमती जमीन विवादों में आ चुकी है। मामला उस समय सुर्खियों में आया, जब इस जमीन पर जेसीबी चलाकर सफाई करने की कोशिश की। एक पक्ष द्वारा इसका विरोध करने पर मामला अंबाला कैंट थाना पहुंचा, जहां दोनों ने पक्षों ने अपनी बात तो रखी, लेकिन एक दूसरे के खिलाफ शिकायत नहीं दी थी। इसके बाद नगर परिषद की टीम ने मौके पर पहुंचकर 14 मई को यहां बोर्ड लगा दिया था। इसमें बताया गया था कि यह जमीन सरकार की है। इस जमीन की खरीद फरोख्त नहीं हो सकती और न ही इस पर प्लाटिंग हो सकती है। सेटलमेंट के साथ खाली करवाए गए प्रापर्टी इस जमीन पर कई लोगों के रिहायशी मकान थे। इन सभी को खाली करवाने की प्रक्रिया करीब तीन साल से चल रही है। इन सभी को सेटलमेंट के साथ मकान खाली करवाए गए। इसी तरह कुछ प्रोपर्टी को कोर्ट केस के माध्यम से भी खाली कराया गया है। हालांकि अभी भी काफी कामर्शियल इकाइयां हैं।

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