क्या है माउस जिगलर तकनीक जिसकी मदद से सोहम पारेख ने एक दिन में कमाएं 2 लाख से ज्यादा

by Carbonmedia
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Mouse Jiggler: क्या आपने कभी “माउस जिगलर” के बारे में सुना है? यह एक ऐसा उपकरण है जिसकी चर्चा आजकल उन कर्मचारियों के बीच खूब हो रही है जो ऑफिस की नज़रों से बचकर आराम से काम करना चाहते हैं या यूँ कहें, काम किए बिना एक्टिव दिखना चाहते हैं. कोरोना महामारी के बाद जब से वर्क फ्रॉम होम का चलन तेजी से बढ़ा है, कंपनियों ने कर्मचारियों की निगरानी के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाने शुरू कर दिए हैं.
कई संस्थान अब ऐसे सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे हैं जो स्क्रीन टाइम, कीबोर्ड की ऐक्टिविटी और माउस क्लिक तक ट्रैक करते हैं. ऐसे में माउस जिगलर जैसी तकनीक लोगों के बीच एक चुपचाप चलने वाला ‘हथियार’ बन चुकी है.
कंप्यूटर को बनाए रखते हैं एक्टिव
इस डिवाइस का मुख्य उद्देश्य होता है कंप्यूटर को एक्टिव बनाए रखना. जैसे ही कोई इंसान माउस को नहीं हिलाता, सिस्टम कुछ देर बाद खुद-ब-खुद स्लीप मोड में चला जाता है. माउस जिगलर उस स्लीप मोड को रोकता है. यह या तो एक छोटा-सा हार्डवेयर होता है जो माउस के नीचे रखकर उसकी हलचल को लगातार बनाए रखता है या फिर एक सॉफ्टवेयर होता है जो स्क्रीन पर माउस की आर्टिफिशियल मूवमेंट पैदा करता है. इससे सिस्टम को लगता है कि यूज़र लगातार एक्टिव है जबकि असल में वह कंप्यूटर के सामने मौजूद भी नहीं होता.
कितनी है इस डिवाइस की कीमत
इस तकनीक की कीमत भी ज्यादा नहीं होती. एक Reddit यूज़र के मुताबिक, एक सामान्य माउस जिगलर मात्र 30 डॉलर (लगभग ₹2,400) में ऑनलाइन मिल जाता है. कुछ लोगों ने तो यहां तक सुझाव दे दिया कि पंखे या घड़ी जैसी घरेलू चीजों की मदद से भी माउस को हिलाया जा सकता है. जैसे एक यूज़र ने बताया कि एक पुरानी अलार्म घड़ी की सेकेंड हैंड भी माउस को हिलाने के लिए काफी है.
सोहम पारेख ने किया था इस तकनीक का इस्तेमाल
इस पूरी चर्चा में सोहम पारेख नाम का एक शख्स अचानक सुर्खियों में आ गया. उस पर आरोप है कि वह एक साथ 34 नौकरियां कर रहा था और माउस जिगलर जैसे उपकरणों की मदद से दिन के ढाई लाख रुपये तक कमा रहा था. हालांकि यह मामला अकेले उसका नहीं है रिपोर्टों का दावा है कि बहुत से लोग इसी रास्ते पर चल रहे हैं.
वैसे यह तकनीक पकड़ना इतना आसान भी नहीं होता क्योंकि ये डिवाइसेज़ कंप्यूटर से सीधे कनेक्ट नहीं होतीं और न ही सॉफ्टवेयर में आसानी से नज़र आती हैं. लेकिन फिर भी कंपनियां कुछ तरकीबों से शक कर सकती हैं. जैसे अचानक किसी वर्क फ्रॉम होम कर्मचारी को जवाब देने को कहें और अगर वो समय पर जवाब नहीं दे रहा तो मैनेजमेंट को संदेह हो सकता है कि सिस्टम पर उसकी मौजूदगी बस दिखावटी है.
माउस जिगलर पर बहस सिर्फ तकनीक की नहीं, बल्कि इस बात की भी है कि आखिर कंपनियाँ अपने कर्मचारियों पर इतना नज़र क्यों रखती हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिका की 10 सबसे बड़ी निजी कंपनियों में से 8 अपने कर्मचारियों की गतिविधियां लगातार मॉनिटर करती हैं. हालांकि कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर निगरानी की जानकारी पारदर्शी तरीके से दी जाए और इसके पीछे का उद्देश्य बताया जाए, तो कर्मचारी इसे ज़्यादा सहजता से स्वीकार कर सकते हैं.
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