बस्ती: महिला आयोग की सदस्य एकता सिंह की बढ़ी मुश्किलें, CHC प्रभारी की कुर्सी पर बैठने का वीडियो वायरल

by Carbonmedia
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Basti Community Health Centre News: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्थित कप्तानगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) उस वक्त अचानक सुर्खियों में आ गया, जब राज्य महिला आयोग की सदस्या एकता सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गया. इस वीडियो में एकता सिंह को सीएचसी प्रभारी की कुर्सी पर बड़े आराम से बैठे देखा जा सकता है, जबकि असली डॉक्टर उनके बगल में, एक अधीनस्थ की तरह खड़े नजर आ रहे हैं. यह घटना न केवल सरकारी प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन है, बल्कि इसने एक संवैधानिक पद की गरिमा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.


मिली जानकारी के अनुसार, महिला आयोग की सदस्या एकता सिंह जनपद बस्ती में एक बैठक में शामिल होने पहुंची थीं. अपने कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने अचानक कप्तानगंज सीएचसी का औचक निरीक्षण करने का फैसला किया. निरीक्षण के दौरान, वह सीधे अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक के कक्ष में पहुंचीं. हैरानी की बात यह है कि उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के प्रभारी की कुर्सी संभाल ली, जबकि प्रभारी चिकित्सक स्वयं उनके सामने खड़े रहे. 


कुर्सी पर बैठीं एकता सिंह को देख मरीज हुए असावधान
इस पूरे घटनाक्रम को किसी ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया, जिसके बाद यह तेजी से वायरल हो गया. इस दृश्य को देखकर अस्पताल में अपनी बीमारियों के इलाज के लिए आए मरीज भी असावधान में पड़ गए. कई भोले-भाले मरीजों ने तो कुर्सी पर बैठीं एकता सिंह को ही अस्पताल की महिला डॉक्टर समझ लिया. वे उनके पास जाकर अपनी तकलीफें बताने लगे और उनसे इलाज या परामर्श की उम्मीद करने लगे. इस स्थिति ने न केवल मरीजों को भ्रमित किया, बल्कि अस्पताल के स्टाफ और अन्य चिकित्सकों के लिए भी यह बेहद असहज करने वाला पल था.


यह सिर्फ एक कुर्सी पर बैठने का साधारण मामला नहीं है. यह सीधे तौर पर संवैधानिक पद की गरिमा, प्रशासनिक प्रोटोकॉल और सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही से जुड़ा है. एक राज्य महिला आयोग की सदस्या होना एक महत्वपूर्ण और जिम्मेदार पद है. ऐसे पदों पर आसीन व्यक्तियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे न केवल कानून का पालन करें, बल्कि प्रशासनिक मर्यादाओं और प्रोटोकॉल का भी सम्मान करें. सरकारी कार्यालयों, विशेषकर चिकित्सा संस्थानों के निरीक्षण के दौरान, यह स्थापित प्रोटोकॉल है कि आगंतुक अधिकारी या जनप्रतिनिधि मेजबान अधिकारी की कुर्सी पर न बैठें. यह मेजबान पद की गरिमा और उसके अधिकार का सम्मान दर्शाता है. एकता सिंह का यह कदम स्पष्ट रूप से इस स्थापित प्रोटोकॉल का उल्लंघन है.


मामले में बस्ती सीएमओ ने क्या कहा? 
इस पूरे मामले पर बस्ती के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) राजीव निगम की प्रतिक्रिया बेहद निराशाजनक रही है. जब मीडिया ने उनसे इस ‘कुर्सी कांड’ पर सवाल पूछे, तो सीएमओ ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली. उन्होंने न तो घटना की पुष्टि की, न ही किसी तरह की टिप्पणी की. सीएमओ की यह चुप्पी कई संदेह पैदा करती है. क्या उन्हें इस गंभीर प्रोटोकॉल उल्लंघन की जानकारी नहीं है? या फिर वे किसी तरह के दबाव में हैं और इस मामले पर बोलने से बच रहे हैं? एक प्रशासनिक प्रमुख होने के नाते, उनसे इस तरह के मामलों पर स्पष्टीकरण और उचित कार्रवाई की उम्मीद की जाती है. उनकी चुप्पी से यह भी लग रहा है कि शायद यह कोई अकेला मामला नहीं है, और ऐसे प्रोटोकॉल उल्लंघन पहले भी होते रहे होंगे.


यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति के व्यवहार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सार्वजनिक संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता है. सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल होने के साथ ही लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं. ट्विटर, फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म पर लोग एकता सिंह के इस बर्ताव की कड़ी निंदा कर रहे हैं. कई यूजर्स ने इसे “सत्ता का घमंड” और “लोकतंत्र का अपमान” करार दिया है. कुछ लोगों ने यह भी सवाल उठाया है कि अगर एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ही नियमों का सम्मान नहीं करेगा, तो आम जनता से क्या उम्मीद की जा सकती है?


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