हरियाणा के अंबाला नगर निगम का चुनाव भले ही भाजपा मेयर शैलजा सचदेवा जीतीं हों लेकिन, न तो उनको समय पर कार्यालय मिला और न ही उनके प्रोटोकॉल का ध्यान दिया गया। दरअसल, शपथ ग्रहण के चार माह बाद जाकर मेयर को अपना कार्यालय मिला। लेकिन, इसमें भी मेयर के प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखा गया। दरअसल, प्रोटोकॉल के अनुसार, मेयर कार्यालय के दो रास्ते होने चाहिए। जिनमें से एक जनता के लिए तो दूसरा मेयर के लिए। लेकिन, अंबाला मेयर कार्यालय में ये दो रास्ते दिए ही नहीं गए हैं। मेयर कार्यालय के लिए एक ही रास्ता बनाया गया है। पहले रास्ता था अब बंद कराया वहीं, इस मामले में मेयर शैलजा सचदेवा के पति व मनोनीत पार्षद संदीप सचदेवा ने बताया कि पहले वहां कार्यालय के लिए दो ही रास्ते हुए करते थे। लेकिन, यह सब राजनीति के कारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अंबाला के अधिकारी मेयर के प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रख रहे हैं। जबकि मेयर तो खुद शहर की प्रथम नागरिक होती है। जमकर चला था ऑफिस विवाद अंबाला मेयर के ऑफिस को भी लेकर जमकर विवाद हुआ था। जब वह शपथ ग्रहण करने के बाद कार्य ग्रहण करने ऑफिस पहुंची तो उनको अपना ऑफिस नहीं दिखा। जिसके बाद उन्होंने पार्क में ही बैठ कर समस्याओं को सुनने का काम किया था। उन्होंने अपना कार्य ग्रहण भी पार्क में ही बैठ कर किया था। इसके बाद ऑफिस विवाद को लेकर मेयर ने कई बार अधिकारियों के खिलाफ ब्यान भी दिया था। मेयर शैलजा सचदेवा ने इस मामले को लेकर कई बार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों से चर्चा भी की थी। जिसके बाद निगम ने आनन फानन में टेंडर जारी किया था। ऑफिस का उद्घाटन, नहीं पहुंचे चुनाव प्रचार करने वाले वहीं, जब ऑफिस का उद्घाटन हुआ था। तब उद्घाटन समारोह में कई बड़े भाजपाई वहां नहीं पहुंचे। जिसके बाद पूरे जिले में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थी। बताया जा रहा है कि एक भाजपा नेता ने तो पोस्टर जारी कर किसी को भी कार्यक्रम में पहुंचने से मना कर दिया था। वहीं, चुनाव प्रचार में साथ रहने वाले असीम गोयल, भाजपा जिलाध्यक्ष मंदीप राणा भी नहीं पहुंचे। जिसके बाद कांग्रेसियों ने भी इसपर चुटकी लेते हुए कहा था कि मेयर के कार्यालय उद्घाटन में ही भाजपा की गुटबाजी शुरू हो गई है।
अंबाला में मेयर ऑफिस में तोड़ा प्रोटोकॉल:एक ही रास्ते से बनाई एंट्री, ऑफिस चार माह बाद मिला, उद्घाटन में भी हुई गुटबाजी
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