हरियाणा एक अंबाला शहर के मेयर सैलजा सचदेवा को नगर निगम में बनाए गए नए कार्यालय में बिठाने की तैयारी शुरू हो गई है। वह करीब चार महीने के बाद 11 जुलाई को अपने नए कार्यालय में बैठेंगी। हवन के बाद कार्यालय में प्रवेश किया जाएगा। जानकारी के अनुसार, अब वह कार्यालय में बैठकर जनता की समस्याएं सुनेंगे। मेयर कार्यालय का कार्य करीब 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है। बता दें कि नगर निगम की ओर से कार्यालय को दोबारा तैयार करने के लिए 4 लाख 60 हजार का टेंडर लगाया गया था। काफी दिन चला था विवाद बता दें कि निगम की ओर से मेयर का कार्यालय सीनियर डिप्टी मेयर के कार्यालय में ही बना दिया गया था। इसके बाद यह मुद्दा काफी चर्चा में रहा। इसके बाद निगम की ओर से सीनियर डिप्टी मेयर का कार्यालय नया बनाया गया। मेयर कार्यालय को नए सिरे से तैयार करने के लिए नया टेंडर लगाया गया था। पहले टेंडर लगाने में कई दिन बीते थे और टेंडर होने के बाद भी कार्य लेट शुरू हुआ था। अब यह कार्य करीब 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है। जो कार्यालय में कार्य होना है, वह भी 11 जुलाई से पहले पूरा होने की संभावना है। मेयर बोली थीं, जब अधिकारियों का मन होगा तब मिलेगा ऑफिस दो महीने पहले मेयर शैलजा सचदेवा ने एक बयान देते हुए कहा था कि जहां तक ऑफिस का सवाल है तो ऑफिस हो या न हो उससे हमारे काम पर कोई फर्क नहीं आ रहा। उन्होंने अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि ऑफिस तब ही शुरू होगा, जब यहां के अधिकारी उचित समझेंगे। उन्होंने इसको दलगत राजनीति भी कहा था। भाजपा की पहली मेयर हैं सचदेवा नगर निगम अंबाला की बात करें तो भाजपा की पहली मेयर शैलजा सचदेवा बनी हैं। इससे पहले हरियाणा जनचेतना पार्टी की शक्ति रानी शर्मा यहां से मेयर थी। अंबाला कैंट और शहर जब नगर निगम था तब मेयर रमेश मल थे। कैंट नगर परिषद बनने के बाद नगर निगम अंबाला दोबारा से बनाया गया जिसमें सबसे पहली मेयर शक्ति रानी तो दूसरी शैलजा सचदेवा हैं। अब पढ़िये कहां से शुरू हुआ विवाद…. शक्ति रानी बनी थी विधायक उनकी जगह बैठे डिप्टी मेयर अंबाला में पूर्व मेयर रहीं शक्ति रानी के विधायक बनने के बाद से अंबाला की मेयर सीट खाली हुई थी। इस दौरान यहां पर सीनियर डिप्टी मेयर मीना ढींगरा को यह जगह दे दी गई। तब से ही यह ऑफिस सीनियर डिप्टी मेयर के पास ही था।
अब अंबाला में मेयर चुनाव हुए तो यहां से भाजपा की मेयर प्रत्याशी शैलजा सचदेवा विजयी हुई। उनके जीतने के बाद उन्होंने शपथ ली और वह ऑफिस पहुंची तो उनको अपना ऑफिस ही नहीं मिला। पहले दिन से ही पार्क में बैठ कर किया सारा काम अंबाला की जनता ने जिसे मेयर बनाकर भेजा उसे ऑफिस के सामने पार्क में बैठकर अपने काम करने पड़ रहे हैं। वजह थी कि अंबाला मेयर के लिए कमरा था ही नहीं। उन्होंने पहले दिन से ही पार्क में बैठकर अपनी सारी कागजी कार्रवाई आदि की। उसके बाद उन्होंने जन समस्याएं भी पार्क में ही बैठ कर सुनीं। कई दिनों तक उन्होंने यह क्रम जारी रखा। लेकिन, फिर भी उनके लिए कोई ऑफिस तैयार नहीं किया गया। विवाद बढ़ा तो सीनियर डिप्टी मेयर के साथ लगी नेम प्लेट इसके बाद ऑफिस न मिलने का विवाद और ज्यादा बढ़ गया। जिसके बाद सीनियर डिप्टी मेयर के साथ ही अंबाला की नवनिर्वाचित मेयर की नाम पट्टिका लगा दी। जिसके बाद मेयर ने उस कमरे को लेने से इनकार कर दिया। यह विवाद भी काफी चर्चा में रहा। मेयर ने कहा था कि क्या एक मेयर के लिए सेपरेट कार्यालय नहीं होना चाहिए। मेयर बोली- जब अधिकारी उचित समझेंगे तब होगा काम एक कार्यक्रम में पत्रकारों ने मेयर शैलजा सचदेवा से ऑफिस को लेकर प्रश्न किया तो उन्होंने अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि ऑफिस तब ही शुरू होगा जब यहां के अधिकारी उचित समझेंगे। उनके जब मन में आएगा तब वह मुझे ऑफिस देंगे। उन्होंने इसको दलगत राजनीति भी कहा है। उन्होंने कहा हम अपना काम बिना ऑफिस के भी कर सकते हैं। जब अफसर ऑफिस तैयार करके देंगे, तब हम अपने परिवार से बातचीत करेंगे। सभी अंबाला के निवासियों से इसमें राय मांगेंगे। उन्होंने कहा कि ऑफिस में बैठने का निर्णय पूरा अंबाला परिवार करेगा। वरिष्ठ नेताओं संग हो चुकी है बातचीत सूत्रों की मानें तो इस मामले में भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं से मिलकर मेयर शैलजा सचदेवा ने अवगत कराया है। उन्होंने पीएम मोदी की यमुनानगर में हुई रैली के बाद मंत्री अनिल विज और केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर से मिली थी। जिसमें उन्होंने अंबाला में चल रहे ऑफिस विवाद से अवगत कराया था।
अंबाला मेयर को जल्द मिलेगा कार्यालय:4 माह से पार्क में ही बैठ कर रहीं सारा काम, 7 माह का बचा है कार्यकाल
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