ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग देने वाले अफसरों का प्रमोशन:एयर मार्शल ए. के. भारती और लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई डिप्टी चीफ बनाए गए; जानें पूरी प्रोफाइल

by Carbonmedia
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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मीडिया को ब्रीफिंग देने वाले आर्मी के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस यानी DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई और IAF के डायरेक्टर जनरल ऑफ एयर ऑपरेशंस एयर मार्शल ए. के. भारती को प्रमोट कर दिया गया है। ए. के. भारती अब डिप्टी चीफ ऑफ एयर स्टाफ होंगे और राजीव घई को डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटेजी) बनाया गया है। डिप्टी चीफ ऑफ एयर स्टाफ का एक ही पद होता है जो अब ए. के. भारती हैं। वहीं आर्मी में डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के तीन पद होते हैं जिनमें से एक पद राजीव घई को दिया गया है। 2024 में अति विशिष्ट मेडल से सम्मानित किए गए एयर मार्शल ए. के. भारती के प्रदर्शन के लिए उन्हें कई तरह के सम्मान मिल चुके हैं। उन्हें एक्सीडेंट-फ्री फ्लाइंग के लिए तीन स्टार्स, साल 2008 में वायु सेना मेडल और 2024 में अति विशिष्ट मेडल मिल चुका है। उनकी मां उर्मिला देवी कहती हैं, ‘मेरा बेटा देशभक्त है और देश के लिए कुछ भी कर सकता है। उसने अपने बच्चों को भी ऐसी ही शिक्षा दी है। उसने एक कश्मीरी लड़की से शादी की है।’ भारत में लेफ्टिनेंट जनरल बनते हैं DGMO डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस यानी DGMO एक सीनियर आर्मी अधिकारी को बनाया जाता है जो मिलिट्री प्लानिंग और और बॉर्डर ऑपरेशन्स का काम करता है। भारत में आमतौर पर ये पद लेफ्टिनेंट जनरल को दिया जाता है जो इस वक्त राजीव घई हैं। वहीं मेजर जनरल काशिफ अबदुल्ला पाकिस्तान के DGMO हैं। DGMO का काम होता है कि वो दूसरे देशों के DGMO के साथ सीधे कॉन्टैक्ट में रहे ताकी कभी दो देशों के बीच होने वाले संघर्ष को मैनेज और खत्म किया जा सके। जब दो देशों के बीच किसी तरह का तनाव होता है तो DGMO को सबसे पहले कॉन्टैक्ट किया जाता है। बात भारत और पाकिस्तान की करें तो दोनों देशों के DGMO पहले से ही हॉटलाइन के जरिए एक-दूसरे से बातचीत करते रहे हैं। सीधे बातचीत करने से किसी तरह की गलतफहमी की गुंजाइश नहीं रहती। ऐसी ही और खबरें पढ़ें… चिनाब ब्रिज डिजाइन और निर्माण करने वाली डॉ माधवी लता:IISc बेंगलुरु की प्रोफेसर हैं, बेस्‍ट फीमेल रीसर्चर अवॉर्ड जीता; जानें पूरी प्रोफाइल 6 जून को पीएम मोदी ने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज चिनाब ब्रिज का उद्घाटन किया। नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर बने इस 1,315 मीटर लंबे पुल के डिजाइन से लेकर निर्माण तक में माधवी लता का बड़ा योगदान रहा है। पूरी खबर पढ़ें…

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