करनाल डीटीपी ने दो बार लिखे पत्र:खसरा नंबर देने के बाद भी रजिस्ट्री और निर्माण पर नहीं लगी रोक, निगम व तहसील की भूमिका उठ रहे सवाल

by Carbonmedia
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करनाल शहर में अवैध कॉलोनियों का जाल लगातार फैलता जा रहा है। खालसा कॉलेज के सामने और रेलवे रोड के पीछे जिस जमीन पर कॉलोनियां काटी जा रही हैं, उसे जिला नगर योजनाकार (डीटीपी) कार्यालय ने पहले ही अवैध घोषित कर दिया था। वर्ष 2022 और 2023 में दो बार पत्र जारी कर तहसील, नगर निगम और बिजली विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि बिना एनओसी कोई रजिस्ट्री न की जाए और न ही बिजली कनेक्शन दिया जाए। यहां तक कि पुलिस को शिकायत भी भेजी गई, लेकिन फिर भी न तो निर्माण रुका और न ही रजिस्ट्रियों पर रोक लगी।
अब सवाल उठ रहे हैं कि जब खुद डीटीपी कार्रवाई की मांग कर रहा है तो जिम्मेदार विभाग आंख मूंदकर क्यों बैठे हैं? इस पर न तो रजिस्ट्री की जाए और न ही बिजली कनेक्शन दिया जाए, लेकिन इसके बावजूद न तो निर्माण रुके और न ही कॉलोनाइजरों पर कोई ठोस कार्रवाई हुई। 2022 में पहला नोटिस, रजिस्ट्री और बिजली पर रोक
करनाल शहर में खालसा कॉलेज के सामने और रेलवे रोड के पीछे खसरा नंबर 11621/4776, 11623/4776, 4775 और 11620/4776 में अवैध कॉलोनियां धड़ल्ले से विकसित हो रही हैं। जिला नगर योजनाकार (डीटीपी) कार्यालय द्वारा दो बार स्पष्ट पत्र जारी किए गए कि यह कॉलोनी अवैध है। डीटीपी कार्यालय ने 11 जनवरी 2022 को तहसीलदार करनाल को पत्र (मेमो नंबर 267/KUA-268) भेजा था जिसमें इन खसरा नंबरों में बिना मंजूरी कॉलोनी काटने की बात कही गई। साथ ही निर्देश दिया गया कि बिना विभागीय एनओसी के कोई भी रजिस्ट्री न की जाए। इसी पत्र में बिजली विभाग (UHBVN) को भी कहा गया कि इन स्थानों पर किसी भी भवन को बिजली कनेक्शन न दिया जाए। 2023 में दूसरा पत्र, नगर निगम को कहा निर्माण रोकने को
करीब डेढ़ साल बाद 31 अगस्त 2023 को डीटीपी ने नगर निगम आयुक्त को पत्र (मेमो नंबर 3480/KUA-268) भेजा। इसमें बताया गया कि उपरोक्त खसरा नंबरों में अब भी कॉलोनी विकसित हो रही है और निर्माण कार्य चालू हैं। साथ ही बताया गया कि इस पर विभाग द्वारा नोटिस भेजे जा चुके हैं और पुलिस को भी शिकायत भेजी जा चुकी है। नगर निगम से साफ कहा गया कि वह अवैध निर्माण को रोकने की कार्रवाई करे। कालोनाइजरों के हौसले बुलंद, तालमेल से कट रही कॉलोनियां
इन दोनों पत्रों के बावजूद उक्त भूमि पर कॉलोनी न केवल विकसित हो रही है बल्कि उसमें धड़ल्ले से रजिस्ट्री भी हो रही है। आरोप हैं कि कालोनाइजर प्रशासनिक तालमेल से कॉलोनी काट लेते हैं और प्लॉट बेचकर निकल जाते हैं। बाद में जब प्रशासन कार्रवाई करता है तो नुकसान सिर्फ खरीदार को होता है। कॉलोनाइजरों के खिलाफ न कार्रवाई होती है और न ही वसूली, जिससे उनके हौसले और बुलंद हो जाते हैं। रजिस्ट्री न करने के निर्देश के बावजूद धड़ल्ले से हुई रजिस्ट्री
2023 में भी डीटीपी कार्यालय ने तहसीलदार को रजिस्ट्री रोकने का पत्र दिया था, लेकिन सूत्रों की मानें तो इन अवैध कॉलोनियों में लगातार रजिस्ट्रियां हो रही हैं। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब स्पष्ट रूप से निर्देश दिए गए थे, तो रजिस्ट्री कैसे हो गई? क्या नगर निगम और तहसील विभाग इस मामले में लापरवाही बरत रहे हैं या जानबूझकर नजरअंदाजी कर रहे हैं? अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव का सवाल
आरटीआई एक्टिविस्ट संजीव शर्मा का आरोप है कि प्रशासन इन पर समय रहते कार्रवाई नहीं करता। जब मकान बन जाते हैं तब जाकर खानापूर्ति की जाती है। गरीब लोग अपनी जिंदगी की कमाई इन कॉलोनियों में लगा देते हैं और बाद में परेशान होते हैं। सूत्रों की मानें तो जिलेभर में अवैध कॉलोनियां तेजी से फैल रही हैं।
कॉलोनाइजर भोले-भाले लोगों को लालच देकर प्लॉट बेच देते हैं और बाद में प्रशासन निर्माण गिरा देता है। प्रशासन सिर्फ उन्हीं पर कार्रवाई करता है जिनका कोई राजनीतिक या सामाजिक दबाव हो, वहां प्रशासन की भी हिम्मत जवाब दे जाती है। उन्होंने कहा कि पत्र लिखना या शिकायत करना अलग बात है, कार्रवाई जमीन पर दिखनी चाहिए। सीटीपी बोले- साइट की जानकारी सोमवार को दी जाएगी
मुख्य नगर योजनाकार (सीटीपी) धर्मपाल से जब फोन पर इस अवैध कॉलोनी के मामले में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि मेरा ऑफिस का समय समाप्त हो चुका है। जिस लोकेशन की जानकारी आप मांग रहे है, वह मैं रिकॉर्ड चेक करके ही बता पाऊंगा। अगर आप दिन में ऑफिस टाइम में कॉल करते तो इसकी जानकारी दे सकता था, लेकिन अब आपको इस संबंध में सोमवार से पहले कोई भी जानकारी नहीं दे पाऊंगा, इसके लिए माफी चाहता हूं। डीटीपी बोले- हम अपनी जिम्मेदारी निभा रहे, बाकी विभाग खुद जवाब दें
डीटीपी सतीश कुमार से जब पूछा गया कि क्या नगर निगम ने उनके पत्र को गंभीरता से नहीं लिया, तो उन्होंने कहा कि हमारा विभाग अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभा रहा है। हम सभी अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई करते हैं, एफआईआर करवाते हैं और डेमोलेशन करते हैं। बाकी सीटीपी या निगम ने क्या किया, इसका जवाब वही दे सकते हैं।

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