कुरुक्षेत्र में मारकंडा का वाटर लेवल हुआ कम:खतरा बरकरार; बाढ़-बरसात से 3 की मौत, शाहाबाद में टांगरी से फसलें प्रभावित

by Carbonmedia
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कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में मारकंडा नदी का वाटर लेवल कम हो गया है, मगर अभी खतरा टला नहीं है। बीती रात 10 बजे तक मारकंडा में 22 हजार 53 क्यूसेक पानी दर्ज किया गया। अब मारकंडा खतरे के निशान 256 मीटर से 0.15 मीटर नीचे बह रही है। अब शाहाबाद को टांगरी नदी से खतरा पैदा होने लगा है। कल शनिवार को सीएम ने इफैक्टेड एरिया का जायजा लेकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी। गांव सुलखनी के सरपंच गुरबक्श सिंह के मुताबिक, मारकंडा से नलवी-ठोल रोड के कई गांव बचे हुए थे, लेकिन टांगरी के पानी उनकी फसल को खराब कर दिया। टांगरी का पानी उनके खेतों में पहुंच चुका है। इससे गोलपुरा, नलवी, सुलखनी, मुद्दीपुर, कल्याना, सैदपुरा, रायपुर और नई बस्ती नलवी गांव के खेतों में खड़ी फसलों पर असर पड़ा है। उधर, इस्माइलाबाद के नैसी गांव में टूटे तटबंध को अब तक रिपेयर नहीं किया जा सका है और यहां से पानी लगातार खेतों में जा रहा है। वहीं बीती शाम जलबेहड़ा साइफन में 9 में बीबीपुर लिंक वाली 1 दीवार मारकंडा के तेज बहाव में टूट गई। इससे पहले जहां कंट्रोल्ड पानी झील में जा रहा था। अब दीवार टूटने से मारकंडा का पानी स्पीड से झील में गिर रहा है। बेबस किसान देख रहे फसल खराब होते
झील में करीब 6500 एकड़ में फसलें खड़ी हैं। मारकंडा का पानी झील में जाने से डेढ़ हजार से ज्यादा फसलें डूब चुकी हैं। हालांकि प्रशासन के मुताबिक कल तक यह 400 एकड़ की फसल प्रभावित हुई है। इसके अलावा भाखड़ा नहर का पानी भी कंट्रोल्ड करके झील में जा रहा है। यहां किसान पहरा लगाकर बैठे हैं। दोनों जगह से पानी की मार पड़ने से बेबस किसान सिर्फ अपनी फसलें बर्बाद होता देख रहा है। 3 की मौत 6 घायल जिला कुरुक्षेत्र में बारिश और बाढ़ की वजह से 3 लोगों की मृत्यु हाे चुकी है। इसमें शाहाबाद की अमर विहार कॉलोनी में मकान की छत गिरने से 2 सगे भाई संदीप और मंजीत की मौत हो गई थी, जबकि 4 लोगों को चोट लगी थी। इसके अलावा पिहोवा के बीबीपुर झील के पास बरसाती के पानी में डूबने से की अरुण मौत हुई थी। वहीं लाडवा के वार्ड-15 में मकान की छत गिरने से 2 लोग जख्मी हुए थे। प्रशासन कर रहा व्यवस्था प्रशासनिक टीम लगातार बाढ़ प्रभावित एरिया में काम कर रही है। अब तक प्रशासन ने 245 लोगों को रेस्क्यू किया है। उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ा गया है। साथ ही उनको रोजमर्रा की चीजें मुहैया करवाई जा रही है। प्रभावित एरिया में दवा और पशुओं का चारा पहुंचाया जा रहा है। जिलेभर में 17,880 एकड़ में फसलें प्रभावित हुई है।

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