कैथल के पुंडरी में पबनावा गांव के मनरेगा मजदूरों ने काम की कमी का मुद्दा उठाया है। मजदूरों का कहना है कि उन्हें 90 दिन के बजाय महज 14 दिन ही काम मिल रहा है। मजदूरों का आरोप है कि बीडीओ कार्यालय अपने चहेतों को लगातार काम देता है। मनरेगा मजदूर महिन्द्रो देवी ने बताया कि 2024 में उन्हें केवल 9 दिन का काम मिला था। इस साल भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ और 14 दिन ही काम मिला। मजदूरों की एक और समस्या यह है कि उन्हें काम और हाजरी के लिए अलग-अलग स्थानों पर जाना पड़ता है। अगर काम पांच किलोमीटर दूर है, तो हाजरी कहीं और लगती है। इससे उनका अतिरिक्त समय और पैसा खर्च होता है। मनरेगा फर्जीवाड़े के बाद विभाग सतर्क बीडीपीओ जगजीत सिंह का इस मामले में कहना है कि मनरेगा का काम ADPO सरिता सैनी के अधीन आता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि काम की कमी नहीं है, लेकिन सीवन में हुए मनरेगा फर्जीवाड़े के बाद वे पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। अधिकारी का बयान अधिकारी के अनुसार, काम पंचायत या सिंचाई विभाग से आता है। वे केवल उन्हीं मजदूरों को काम देते हैं जो वास्तव में काम करना चाहते हैं। मजदूरों का पंचायत से सत्यापन भी कराया जाता है। मजदूर अब मेट के माध्यम से आते हैं, लेकिन उनका पंचायत से वेरिफिकेशन अनिवार्य है। ग्राम पंचायत ही वेरिफाई कर के मजदूरों की जानकारी देती है, जिसके बाद उनको काम दिया जाता है। गौरतलब है कि मजदूरों ने इस मुद्दे को पहले भी उठाया था और ढांड कार्यालय में अपनी मांगों को लेकर पहुंचे थे।
कैथल में मनरेगा मजदूरों ने बीडीओ पर लगाए आरोप:बोले-अपने चहेतों को दे रहे काम, अधिकारी बोले-पंचायत ही करती है वेरिफाई
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