Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से आस्था को झकझोर देने वाली एक सनसनीखेज घटना सामने आई है. राजिम थाना क्षेत्र के ग्राम देवरी स्थित मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियों पर अज्ञात व्यक्तियों द्वारा खून लगाने की घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है. जब ग्रामीण सुबह पूजा के लिए मंदिर पहुंचे, तो मूर्तियों पर लगे खून के धब्बे देखकर भय और आक्रोश फैल गया.
मंदिर में खून के निशान देख भक्तों के उड़े होशदेवरी-जेजरा रोड पर स्थित हनुमान, दुर्गा और शिव मंदिरों में यह घटना उस समय उजागर हुई जब श्रद्धालु पूजा के लिए मंदिर पहुंचे. हनुमान जी, दुर्गा माता और शिवलिंग की मूर्तियों पर खून लगे होने से पूरे गांव में सनसनी फैल गई. ग्रामीणों ने तत्काल इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन और पुलिस को दी.
राजिम पुलिस की तत्परता से दो आरोपी गिरफ्तारशिकायत मिलने पर राजिम पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की. जांच के दौरान ग्राम देवरी स्कूलपारा निवासी लीलाराम साहू (42 वर्ष) और कामता प्रसाद साहू (50 वर्ष) को संदेह के आधार पर हिरासत में लिया गया. पूछताछ में दोनों आरोपियों ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने ही मूर्तियों पर जानबूझकर खून लगाया था.
‘खून से तिलक लगाने से आती है समृद्धि!’पूछताछ में आरोपियों ने जो कारण बताया, वह और भी चौंकाने वाला है. उन्होंने पुलिस को बताया कि उन्हें कहीं से यह जानकारी मिली थी कि देवी-देवताओं को खून का तिलक लगाने से घर में सुख-शांति और धन-समृद्धि आती है. इसी अंधविश्वास के चलते उन्होंने यह शर्मनाक कृत्य किया, जिससे गांव की धार्मिक भावना को गहरा आघात पहुंचा.
ASP जितेंद्र चंद्राकर का आधिकारिक बयानगरियाबंद के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) जितेंद्र चंद्राकर ने जानकारी दी कि दोनों आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करना) और 3(5) (धार्मिक स्थल को अपवित्र करना) के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया गया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए उनके विरुद्ध पृथक से प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी की गई है.
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान* लीलाराम साहू, उम्र 42 वर्ष, पिता – श्यामलाल साहू, निवासी – ग्राम देवरी स्कूलपारा, थाना राजिम* कामता प्रसाद साहू, उम्र 50 वर्ष, पिता – अधारी साहू, निवासी – ग्राम देवरी स्कूलपारा, थाना राजिम
लोगों में रोष – कड़ी कार्रवाई की मांगगांव के उपसरपंच सुरेंद्र कुमार साहू सहित ग्रामीणों ने इस कृत्य की तीव्र निंदा की है और मांग की है कि आरोपियों को शीघ्र न्यायिक प्रक्रिया के तहत कठोरतम सजा दी जाए. ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल आस्था का अपमान नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और धार्मिक मर्यादा का खुला उल्लंघन है.
यह मामला केवल आपराधिक नहीं, सामाजिक चेतना और वैज्ञानिक सोच की गहरी विफलता को भी उजागर करता है. अंधविश्वास जब धर्म की आड़ में आस्था को अपवित्र करता है, तब कानून का कठोर हस्तक्षेप अनिवार्य हो जाता है. शासन-प्रशासन को चाहिए कि ऐसी घटनाओं के खिलाफ न केवल कठोर कार्रवाई करे, बल्कि जनजागरूकता अभियान चलाकर अंधविश्वास के विरुद्ध वैज्ञानिक सोच को भी बढ़ावा दे.
छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास से सनसनी: मंदिर में देवी-देवताओं की प्रतिमा पर खून के निशान, गांव भर में आक्रोश
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