दिल्ली हाई कोर्ट ने 40 साल पुराने भ्रष्टाचार के मामले में 90 साल के बुजुर्ग सुरेन्द्र कुमार को बड़ी राहत दी है. उनकी सजा को पहले से भुगती गई अवधि तक सीमित कर दिया है. यह फैसला जस्टिस जसमीत सिंह ने सुनाया.
सुरेन्द्र कुमार जो 1984 में स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में चीफ मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत थे. उनके ऊपर एक मुंबई स्थित फर्म के साझेदार अब्दुल करीम हमीद से 15 हजार रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगा था. शिकायतकर्ता ने सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई जिसके बाद सुरेन्द्र कुमार को एक होटल से 7500 रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया.
लंबी चली कानूनी लड़ाई
इस मामले में 19 साल तक ट्रायल चला और 2002 में उन्हें दोषी करार दिया गया. उसी साल उन्होंने दोषसिद्धि के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील दायर को जो करीब 22 साल तक लंबित रही.
दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा कि यह देरी संविधान के आर्टिकल 21 में दर्ज जल्द न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस बात को भी ध्यान में रखा कि अपीलकर्ता की उम्र 90 साल है वे गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं और एक दिन की ही हिरासत में रहे हैं. साथ ही उन्होंने ट्रायल में पूरा सहयोग दिया और 15 हजार का जुर्माना पहले ही भर दिया है.
कोर्ट में सीबीआई की अहम दलील
दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई ने बताया कि आरोपी को गिरफ्तारी के तुरंत बाद जमानत मिल गई थी और कोर्ट को यह अधिकार है कि वह सजा को एक साल से कम कर सकती है. विशेष रूप से उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए.
दिल्ली हाई कोर्ट का अहम आदेश
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यह मामला सजा को कम करने के लिए उपयुक्त है. कोर्ट ने यह भी माना कि सुरेन्द्र कुमार के खिलाफ कोई अन्य आपराधिक मामला नहीं है और यह उनका पहला अपराध था. इस प्रकार अपीलकर्ता की सजा को पहले से भुगते गए समय तक सीमित किया जाता है. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है. फिलहाल दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में 40 साल से चल रही लंबी कानूनी लड़ाई पर विराम लगा दिया.
दिल्ली HC ने 90 वर्षीय बुजुर्ग को भ्रष्टाचार से जुड़े केस में दी बड़ी राहत, 40 साल चली कानूनी लड़ाई
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