भिवानी में योग से निरोग रहने का दिया संदेश:योग साधकों को किया सम्मानित, बोले- नियमित योग से मानसिक संतुलित रहता है

by Carbonmedia
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भिवानी में योग करवाकर निरोग रहने का संदेश दिया जा रहा है। नवदुर्गा सेवा सहयोग संस्था द्वारा कोंट रोड मिनी बाइपास काली देवी मंदिर रोड स्थित दक्षिण काली नवदुर्गा मंदिर परिसर में नियमित योग कक्षा संचालित की जा रही है। योग साधकों को प्रमाण पत्र एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। संस्था ने समाज में योग को बढ़ावा देने और नियमित साधकों के समर्पण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इसका आयोजन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्रीकृष्ण कृपा जिओ गीता के जिला अध्यक्ष नरेश आहूजा, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के जिला प्रभारी आत्म प्रकाश टुटेजा व भिवानी पर्यावरण शुद्धिकरण समिति के संयोजक केके वर्मा विशेष रूप से उपस्थित रहे। योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर
सम्मानित होने वाले योग साधकों में योग प्रशिक्षक सूरज, नीरज, ललिता, शगुन, दीपिका, मा. राजेंद्र सिंह, कुलदीप, प्रमिला, गीता, गुनगुन, मूर्ति देवी, दीपेश, राहुल, साहिल, मोनिका, सूबेदार मेजर उमेद सिंह सहित अन्य नियमित योगाभ्यास करने वाले श्रद्धालु शामिल रहे। इस अवसर पर योगाचार्य बिजेश जावला ने कहा कि नियमित योग अभ्यास से व्यक्ति न केवल निरोग रहता है बल्कि मानसिक रूप से भी संतुलित होता है। योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है जिसे जन-जन तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना
संस्था की प्रधान उर्मिला सैनी ने कहा कि संस्था द्वारा प्रतिदिन प्रातः 5 से साढ़े 6 बजे तक निःशुल्क योग कक्षा चलाई जा रही है, जिसका उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है। आने वाले समय में और भी अधिक लोगों को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। मुख्य अतिथि नरेश आहूजा ने कहा कि “श्रीमद्भगवद्गीता मानव जीवन का दर्पण है। यह हमें कर्म के मार्ग पर चलने, आत्मबोध करने और जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देती है। योग और गीता का संयोजन आत्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।” योग तनावपूर्ण जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी
इस अवसर पर आत्म प्रकाश टुटेजा ने कहा कि “गीता में वर्णित योग सिद्धांत आज के तनावपूर्ण जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। योग शरीर, मन और आत्मा तीनों की एकता का मार्ग है। हम सभी को गीता और योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।” केके वर्मा ने कहा कि “प्राकृतिक पर्यावरण की शुद्धता हमारे जीवन की आधारशिला है। जिस तरह योग आंतरिक शुद्धता देता है, उसी तरह पौधारोपण और स्वच्छता हमारे बाह्य जीवन को संतुलित रखते हैं। हमें पेड़ों को गीता के समान पूजनीय समझते हुए उनका संरक्षण करना चाहिए।”

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