यमुना नदी में दूर तक उतरा रहे खैर के पेड़:हिमाचल और मांडेवाला जंगल से बहकर आए, वन विभाग हुआ अर्ल्ट, पानी घटने का इंतजार

by Carbonmedia
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इस बार मानसून की बारिश ने यमुना नदी को रौद्र रूप दे दिया, और अब जलस्तर कम होने पर हिमाचल प्रदेश और मांडेवाला जंगल से बहकर आए खैर के सैकड़ों पेड़ नदी में तैरते दिख रहे हैं। तेज बहाव के कारण हुए कटाव ने मांडेवाला जंगल के बड़े हिस्से को नष्ट कर दिया, जिससे वन और सिंचाई विभाग अलर्ट मोड में आ गया है। अगर ये पेड़ हथिनीकुंड बैराज में आकर फंसते हैं तो नुकसान पहुंचा सकते हैं। पिछले हफ्ते हिमाचल में हुई भारी बारिश ने यमुना को उफान पर ला दिया था। इस तेज बहाव ने मांडेवाला जंगल के 15 से 20 एकड़ हिस्से को निगल लिया, जिसमें खैर के कीमती पेड़ भी शामिल थे। अब जब नदी का जलस्तर कम हुआ है, तो ये पेड़ पानी की सतह पर लकड़ी के विशालकाय ढेर की तरह तैर रहे हैं। स्थानीय लोग इसे नदी का तैरता जंगल कहकर चकित हैं, लेकिन वन विभाग के लिए ये चिंता का सबब है। पानी का लेवल और कम होने का इंतजार फोरेस्ट डिपार्टमेंट अब नदी का जलस्तर और कम होने का इंतजार कर रहा है ताकि लाखों की कीमत वाले इन पेड़ों को बाहर निकाला जा सके। विभाग के अनुसार अधिकतर पेड़ हिमाचल के हो सकते हैं, लेकिन यह इन्हें बाहर निकला कर ही पता चल पाएगा। पेड़ों को बाहर निकालकर हिमाचल फोरेस्ट डिपार्टमेंट को भी सूचित किया जाएगा, जिससे वे मार्किंग जांचकर यहां से पेड़ ले जा सके। डिवीजनल फोरेस्टर ऑफिसर संदीप सिंह ने बताया कि हिमाचल के पेड़ आमतौर पर मोटे होते हैं, जबकि हमारे यहां के पेड़ पतले। पेड़ों की पहचान उनके आकार और मोटाई से की जाएगी। वन विभाग ने पेड़ों को नदी से निकालने की योजना बनाई है, लेकिन अभी तेज बहाव के कारण यह संभव नहीं है। बैराज के फ्लड गेट खोल आगे निकाल दिए जाएंगे पेड़ संदीप सिंह ने बताया पानी का स्तर कम होने का इंतजार है। इसके बाद पेड़ों को निकालने की कार्रवाई शुरू होगी। वन और सिंचाई विभाग ने संयुक्त रूप से स्थिति पर नजर रखी है। जलस्तर कम होने के बाद नदी से पेड़ निकालने और कटाव रोकने के लिए दीर्घकालिक उपायों पर विचार किया जा रहा है। उधर इरिगेशन डिर्पामेंट से सुपरिटेंडिंग इंजीनियर आरएस मित्तल का कहना है कि हर साल भारी संख्या हिमाचल से भारी संख्या में पेड़ नदी में बहकर आते हैं। ऐसे में उन्हें बैराज के फ्लड गैटों से आगे निकाल दिया जाता है, जिससे बैराज को गेटों को नुकसान न हो। दिक्कत वहां होती है जब ये पेड़ बैराज के गेट में फंस जाते हैं। इस बार भी काफी मात्रा में पेड़ नदी में तैर रहे हैं।

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