यमुना में गंदगी जाने से रोकने के लिए डेयरी कॉलोनियों में लगेंगे बायो गैस प्लांट, जानें कैसे करेगा काम?

by Carbonmedia
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दिल्ली में यमुना की सफाई को लेकर एक नई पहल के तौर पर दिल्ली नगर निगम डेयरी कॉलोनियों में बायो गैस प्लांट जल्द लगाएगी, जिससे यमुना में जाने वाली गंदगी को रोका जा सके.
स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा ने बताया कि दिल्ली नगर निगम अपने अधीन आने वाली डेयरी कॉलोनियों से निकलने वाले पशु गोबर के वैज्ञानिक निस्तारण के लिए गोबर बायो गैस प्लांट लगाने की तैयारी में है, जिससे यमुना में सीधे या परोक्ष रूप से जाने वाले जैविक अपशिष्ट पर रोक लगेगी.
कब शुरू होगा बायो गैस प्लांट
दिल्ली नगर निगम इस एक्शन प्लान को जल्द ही शुरू करने वाली है. सत्या शर्मा ने बताया कि नंगली डेयरी में अगस्त माह से बायो गैस प्लांट शुरू हो जाएगा. साथ ही अगले वर्ष तक गोयला व घोगा डेयरी में भी बायोगैस प्लांट बनकर तैयार हो जाएंगे.
जानकारी के मुताबिक, नंगली और गोयला क्षेत्र में लगभग 1,500 डेयरियां चल रही हैं. इन डेयरियों से हर दिन भारी मात्रा में पशु गोबर निकलता है, जो अक्सर नालियों के माध्यम से बहकर नजफगढ़ ड्रेन में चला जाता है और क्योंकि नजफगढ़ नाला सीधे यमुना नदी से जुड़ा है, इसलिए यह यमुना को प्रदूषित करता है. शर्मा ने बताया कि इन गैस प्लांट से यह गोबर वैज्ञानिक तरीके से संसाधित होगा और यमुना नदी में गंदगी जाने पर रोक लगेगी.
मुख्यमंत्री ने यमुना को लेकर दिया जोर
सत्या शर्मा ने बताया कि हाल ही में हुई बैठक में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विशेष रूप से जोर दिया कि दिल्ली नगर निगम को यमुना को स्वच्छ करने के लिए अपने स्तर पर ठोस प्रयास करने चाहिए और अब नगर निगम मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुरूप, निगम सभी संबंधित कार्यों को तेजी से आगे बढ़ा रहा है.
अधिकारियों को निर्देशसत्या शर्मा ने बताया कि स्थाई समिति की बैठक में संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि इन संयंत्रों की स्थापना और संचालन में कोई भी अनावश्यक देरी न हो.
बायोगैस प्लांटों से प्रतिदिन कुल 200 टन गोबर निस्तारण
निगम से मिली जानकारी के मुताबिक ये तीनों बायोगैस प्लांट प्रतिदिन कुल 200 टन पशु गोबर के वैज्ञानिक निस्तारण की क्षमता रखते हैं. प्रत्येक बायोगैस संयंत्र के निर्माण पर लगभग ₹16 करोड़ की लागत आएगी।इन प्लांटों से सीएनजी (CNG) और जैविक खाद का उत्पादन किया जाएगा.
उत्पादित सीएनजी को ऊर्जा के रूप में उपयोग किया जा सकेगा, जिससे प्राकृतिक संसाधनों की बचत होगी.जैविक खाद का उपयोग नगर निगम की बागवानी गतिविधियों में किया जाएगा.
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