Maharashtra Politics: उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की एक पुरानी तस्वीर शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ के फ्रंट पेज पर छापी गई है, इसको लेकर महाराष्ट्र में सियासत तेज हो गई है. शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने शनिवार (6 जून) को इसे स्वागत योग्य बताया है. उन्होंने कहा एक बार दोनों भाई मिल लेंगे बाद में सबकुछ हो जाएगा. हमारे मुख पत्र सामना में आज फ्रंटलाइन खबर ही यही है. दोनों भाइयों के साथ आने को लेकर मनसैनिक और शिवसैनिक दोनों ही आतुर है. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने भी कहा है कि महाराष्ट्र के दिल में जो होगा वही होगा.
वहीं, शुक्रवार (6 जून) को उद्धव ठाकरे से मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज ठाकरे की पार्टी से गठबंधन को लेकर सवाल पूछा गया. इस पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के दिल में जो होगा वही होगा. हमारे और हमारे शिवसैनिकों के दिल में कोई भ्रम नहीं है. उनके (मनसे) दिमाग में भी कोई भ्रम नहीं है. हम कोई संदेश नहीं देंगे, हम सीधे खबर देंगे. इस सवाल ने गठबंधन पर सियासत को और तेज कर दिया है.
’विधानसभा चुनाव को लेकर तो हम शुरू से सवाल उठा रहे हैं'
कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र चुनाव में धांधली और चुनाव आयोग के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए इसके जवाब में अरविंद सावंत ने कहा कि चुनाव आयोग और विधानसभा चुनाव को लेकर तो हम शुरू से सवाल उठा रहे हैं. शिवसेना के दो फाड़ होने के बाद पार्टी का नाम और चुनाव निशान पर उन्होंने कहा कि शिवसेना पार्टी जो छोड़कर भाग गए, चुनाव आयोग उन्हें हमारी पार्टी कैसे दे सकती है.
’सभी कार्रवाई पूरी तरह से बंद हो गई'
एक अन्य सवाल, मीठी नदी से गाद निकालने के घोटाले में बॉलीवुड अभिनेता डिनो मोरिया से लगातार ईडी के पूछताछ कर रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि आदित्य ठाकरे के करीबी होने की वजह से उन्हें परेशान किया जा रहा है. इस सवाल के जवाब में अरविंद सावंत ने कहा, यह भारतीय जनता पार्टी की नीति और कूटनीति है, जिसे वे चाणक्य नीति कहते हैं. देखें कि कितने लोग उनके साथ जुड़ गए हैं और उन पर किस तरह के आरोप लगाए गए हैं. हमारे देश के प्रधानमंत्री ने खुद आरोप लगाए, फिर भी आठ दिनों के भीतर अजित पवार उनके साथ जुड़ गए. गठबधन में शामिल होने के बाद, वे मंत्री बन गए और उनके खिलाफ सभी कार्रवाई पूरी तरह से बंद हो गई.”
’आज भी 80 करोड़ जनता मुफ्त अनाज पर आश्रित हैं'
वर्ल्ड बैंक द्वारा गरीबी नापने के पैमाने में बदलाव किए जाने पर भारत में गरीबी दर 27 से 5 प्रतिशत पर आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि एक बात जरुर कहना चाहूंगा कि जिस देश में आज भी 80 करोड़ जनता मुफ्त अनाज पर आश्रित हैं, इसका मतलब यही है कि यह लोग गरीब हैं. ऐसे में कथनी और करनी में फर्क होता है. आज भी गरीब किसान आत्महत्या कर रहे हैं.
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