हरियाणा के सिरसा जिले के कुम्हारिया गांव में एक अनूठी मिसाल पेश हुई है। भोपा जाति के लीलू राम के बेटे अनिल कुमार की शादी में भात की रस्म निभाई। इस रस्म को लड़की की मां के भाई यानी मामा द्वारा निभाया जाता है। रोशनी देवी, लीलू राम की पत्नी के कोई सगा भाई नहीं है। वह अपने बेटे की शादी में भात की रस्म अधूरी रह जाने से चिंतित थी। पुराने परिचित लोगों को दिया न्योता उन्होंने अपने पुराने परिचित लोगों को भात भरने का न्योता दिया। उन्होंने जिन गांवों में पहले निवास किया था, वहां के लोगों को तिलक भेजा। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की भादरा तहसील के खचवाना गांव से करीब 20 लोग इस शादी में शामिल हुए। लालचंद महायच और प्रेम बरोड़ सहित गांव के पुरुष, महिलाएं और बच्चों ने पारंपरिक तरीके से भात की रस्म निभाई। भोपा जाति का स्थायी निवास नहीं होता भोपा जाति के लोगों का कोई स्थायी निवास नहीं होता। वे भाट और नट जाति की तरह एक गांव से दूसरे गांव जाकर अपना जीवन यापन करते हैं। खचवाना गांव के लोगों ने न केवल रस्म निभाई, बल्कि पूरे परिवार को सम्मान भी दिया। घटना ने पूरे क्षेत्र में मानवीय मूल्यों की एक नई मिसाल कायम की है। बच्चों और पुरुषों के लिए उपहार भात की यह रस्म समाज के रीति-रिवाजों के अनुसार विधिपूर्वक अदा की गई। सबसे बड़ी बात यह रही कि इस सारे आयोजन में केवल रस्में नहीं निभाई गई, बल्कि दिल से रिश्ता निभाया गया। कुम्हारिया गांव, खचवाना गांव और अन्य दो गांवों से आए सभी लोगों ने इस अनूठे भात की सराहना की। शादी समारोह का माहौल देखते ही बनता था। किसी ने नहीं सोचा था कि बिना सगे भाई के भी कोई बहन इतनी सम्मान के साथ भात पा सकती है। बहन के चेहरे की मुस्कान असली रिश्ता अपने सगे भाई तो सभी भात भरते हैं, पर असली पुण्य तो तब मिलता है, जब किसी बहन के लिए कोई गैर भात भरता है। वो मुस्कान, जो उस बहन के चेहरे पर थी, वही असली रिश्ता है।
सिरसा में ग्रामीणों ने भात भरकर निभाई मामा की रस्म:चार गांव के लोगों ने की सराहना, शादी को लेकर चिंतित थी मां
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