महेश भट्ट कैंप की नई फिल्म “तू मेरी पूरी कहानी” चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह सिर्फ नामी चेहरे नहीं, बल्कि एक नई आवाज हैं डायरेक्टर सुहृता दास। वह नाम जो “सड़क 2” जैसी विवादित फिल्म का हिस्सा रह चुकी हैं, अब अपनी खुद की फिल्म लेकर सामने आई हैं। इस इंटरव्यू में सुहृता ने बेबाकी से बात की अपने करियर की शुरुआत से लेकर, महेश भट्ट के साथ अपने अनुभवों तक। उन्होंने बताया कि कैसे “सड़क 2” के फ्लॉप होने से पूरी टीम टूट सी गई थी, और कैसे उस फिल्म को सोशल मीडिया ट्रायल और प्रोपगेंडा का शिकार बना दिया गया… क्या आपने कभी सोचा था कि एक दिन आप महेश भट्ट जैसे दिग्गज निर्देशक के साथ काम करेंगी और ये सपना आपने कैसे मैनिफेस्ट किया ? सुहृता दास- सच कहूं तो मेरे माता-पिता भी अक्सर मुझसे यही सवाल करते हैं कि क्या मैंने वाकई कभी ऐसा सपना देखा था जो आज सच हो गया है। लेकिन ये सब कुछ अचानक नहीं हुआ, यह एक-एक स्टेप के साथ धीरे-धीरे बनता चला गया। मैं हमेशा से लेखिका बनना चाहती थी। जब कोलकाता में महेश भट्ट सर से पहली बार मिली, तो मैंने उनसे कहा था कि डायरेक्शन लेखन का ही एक अगला स्तर है और कहीं न कहीं ये मेरे मैनिफेस्टेशन का हिस्सा रहा है। आपकी फिल्म “तू मेरी पूरी कहानी” की कहानी क्या है और इस फिल्म के जरिए आप दर्शकों को क्या संदेश देना चाहती हैं? सुहृता दास- “तू मेरी पूरी कहानी” सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि यह एक लड़की की आत्मिक यात्रा है। भले ही हम समाज में यह कहते हैं कि लड़का और लड़की कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं, लेकिन यह अधूरी सच्चाई है। हमारी फिल्म की मुख्य किरदार अनिता एक डिस्टर्ब्ड बैकग्राउंड से आती है। वह एक बहुत बड़ी स्टार बनना चाहती है, वह चाहती है कि पूरा देश उसे उसके नाम से जाने लेकिन इस सफर में उसे प्यार हो जाता है। तब उसके सामने सवाल आता है प्यार या फेम? यही वह आंतरिक संघर्ष है जहां जीत होती है दिल की आवाज़ की। इस फिल्म का नाम “तू मेरी पूरी कहानी” मैंने और श्वेता बोथरा ने कई चर्चाओं और रिसर्च के बाद तय किया। श्वेता एक कवयित्री हैं और उन्होंने कहा था कि फिल्म का नाम ऐसा होना चाहिए जो कविता की तरह दिल को छू जाए और हमारे फिल्म के संदेश को भी दर्शाए। मुझे लगता है कि यह नाम उस भावना को पूरी तरह से समेटता है जिसे हमने परदे पर उतारने की कोशिश की है। फिल्म की कास्टिंग को लेकर क्या प्रक्रिया रही? आपने नए चेहरों को मौका दिया है, यह निर्णय कैसे लिया ? सुहृता दास- मैंने पिछले दस सालों में सिर्फ महेश भट्ट सर के साथ काम नहीं किया बल्कि कई कलाकारों और टेक्निशियनों से मिली और सीखा। इसी दौरान फिल्म के लीड एक्टर अर्हान और हिरण्या से भी मेरा परिचय हुआ। अर्हान, जो फिल्म में रोहन का किरदार निभा रहे हैं, मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव सिहोर से हैं। वे मार्केटिंग का काम करते थे और लोग अक्सर उनसे कहते थे कि आप फिल्मों में क्यों नहीं आते। वहीं हिरण्या, जो फीमेल लीड हैं, वर्कशॉप्स में मेरे साथ थीं। उन्हें एक अनुभवी प्रशिक्षक ने रिकमेंड किया और जब मैंने उन्हें स्क्रीन पर देखा, तो मुझे यकीन हो गया कि स्क्रिप्ट में जो संवेदनशीलता है, वह ये दोनों ही निभा सकते हैं। तीसरा किरदार शम्मी दुहान का है, जो फिल्म में ‘राज’ की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वह हमारे प्रोडक्शन हाउस में किसी और भूमिका के लिए ऑडिशन देने आए थे, लेकिन वहां से मुझे लगा कि यही व्यक्ति हमारी फिल्म के लिए सही हैं। इस तरह कास्टिंग हुई जमीन से जुड़े, सच्चे और मेहनती कलाकारों के साथ। महेश भट्ट जैसे दिग्गज निर्देशक के साथ काम करना और पहली बार उनके सामने डायरेक्टर की कुर्सी पर बैठना, यह अनुभव कैसा रहा? सुहृता दास- पहली बार जब मैं डायरेक्टर के रूप में सेट पर पहुंची और महेश भट्ट मेरे साथ थे, तो वह पल मेरे लिए बहुत डरावना और रोमांचक दोनों था। ‘सड़क 2’ में मैंने उन्हें असिस्ट किया था, उस फिल्म में मैंने शुरू से अंत तक उनके साथ काम किया था। लेकिन तब भी यह कहना आसान नहीं था कि मैं एक दिन खुद डायरेक्शन करना चाहती हूं। जब उन्होंने यह बात जाना तो उन्होंने मुझे स्पेस देना शुरू किया। पूजा भट्ट ने भी भट्ट साहब से कहा था कि जिस तरह से मैंने “सड़क 2” में काम किया, अब डायरेक्टर के तौर पर मुझसे दोगुनी मेहनत करवाई जाए। सेट पर हम पूरी तैयारी करके जाते थे किरदार कहां से आया है, उसकी इमोशनल जर्नी क्या है, डायलॉग्स क्या होंगे, सब तय होता। फिर भट्ट साहब आते, रिहर्सल करते और अपनी राय देते। पहला सीन जो हमने शूट किया, उसमें तिग्मांशु धूलिया,जूही बब्बर जैसे सीनियर एक्टर्स थे और साथ में हिरण्या जैसी न्यूकमर थीं। भट्ट साहब हमेशा कहते हैं कि पहला सीन सबसे मुश्किल वाला शूट होना चाहिए, क्योंकि वही बेंचमार्क सेट करता है। हमने अपनी राय एक-दूसरे पर थोपी नहीं, बल्कि तालमेल के साथ काम किया। जहां लगा कि री शूट करना चाहिए, वहां किया। महेश भट्ट जैसे व्यक्ति कभी-कभी सख्त भी हो सकते हैं, क्या उन्होंने आपको कभी डांटा? अगर हां, तो आपने उसे कैसे लिया? सुहृता दास- हां, बिल्कुल डांटा है और वह डांट मेरे लिए वरदान जैसी रही है। जब आप डायरेक्टर होते हैं तो आपकी जिम्मेदारी सबसे ज्यादा होती है। अगर कोई आपको सबके सामने डांटता है, तो वो सिर्फ इसलिए ताकि आप सीखें और मजबूत बनें। मैं पीछे हटने वालों में से नहीं हूं। एक बार कोरियोग्राफर को लेकर भी तनातनी हो गई थी, लेकिन फिर हमने डेविड सर को ऑनबोर्ड लिया, जिनका काम भट्ट साहब को भी पसंद आया। मेरे लिए ये सारी परिस्थितियां सीखने के मौके थीं और मैं उन्हें उसी रूप में लेती हूं। आपकी फिल्म के संगीत में अन्नू मलिक की वापसी हो रही है, जिन पर पहले मी टू का आरोप लगा था। क्या यह उनकी वापसी है या फिल्म को प्रमोट करने की रणनीति? सुहृता दास- यह निर्णय विक्रम भट्ट का था। उन्होंने कहा कि अगर फिल्म में न्यू डायरेक्टर, न्यू एक्ट्रेस और न्यू एक्टर हैं, तो क्यों न म्यूजिक डायरेक्टर को भी एक अनोखा अनुभव दिया जाए। अन्नू मलिक सर का नाम सुनकर मैं थोड़ी डरी जरूर थी, क्योंकि वे विशेष किस्म के प्रोजेक्ट्स में ही काम करते हैं। लेकिन जब मैंने देखा कि उन्होंने भट्ट साहब के एक शो के लिए गाना दिया और बंगाल के डायरेक्टर श्रीजीत मुखर्जी की फिल्म ‘बेगम जान’ में भी शानदार काम किया, तो मेरा भरोसा उनपर बन गया। अन्नू मलिक सर हमारे लिए गुरू जैसे बन गए। उन्होंने हर सिंगर के साथ 4-5 घंटे तक रिकॉर्डिंग की, खुद भी फीडबैक दिया और सिखाया। उनके साथ काम करते हुए कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि हम किसी दिग्गज के साथ काम कर रहे हैं, वे एकदम हमारी टीम का हिस्सा बन गए। सुशांत सिंह राजपूत केस के बाद ‘सड़क 2’ को काफी विवाद और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उससे आप कितनी प्रभावित हुईं और इस बार कोई रिस्क महसूस हो रहा है? सुहृता दास- मैं उस समय भी फिल्म के साथ भीतर से जुड़ी थी। ‘सड़क 2’ मेरे लिए एक जड़ जैसी थी। जब वह फिल्म ट्रोल और प्रोपगेंडा का शिकार हुई, तो मैंने भी निजी तौर पर वह तूफान झेला। लेकिन उस अनुभव ने मुझे तोड़ा नहीं, बल्कि मजबूत किया। हमारी फिल्म “तू मेरी पूरी कहानी” एक इंटिमेट सिनेमा है, जिसमें ब्रिलियंट म्यूजिक है और नए कलाकार हैं। यही महेश भट्ट का सिनेमा स्कूल है, जो मुझे सिखाया गया है और मैं उसी को फॉलो करती हूं। विवादों से नहीं, बल्कि सच्चाई से सिनेमा बनता है। अंत में, इस पूरी जर्नी और महेश भट्ट के साथ काम करने के बाद आपने क्या सबसे बड़ी सीख हासिल की है? सुहृता दास- इंडस्ट्री में लोग अक्सर असफलता से नहीं, बल्कि सफलता से ज्यादा पागल हो जाते हैं। जब लोग एक मुकाम पर पहुंचते हैं, तो वे उसे बनाए नहीं रख पाते। अनुशासन की कमी, दस लोगों की बातों में आकर गलत फैसले लेना, यही कारण होते हैं असफलता के। मेरी सबसे बड़ी सीख यही रही है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहो। अपनी असलियत को मत भूलो, चाहे कितनी भी ऊंचाई क्यों न पा लो। जब आप जमीन से जुड़े रहते हो, तब ही आप ऊंची उड़ान भर सकते हो।
सुहृता दास की फिल्म से महेश भट्ट का कमबैक:डायरेक्टर बोलीं- सड़क 2 प्रोपगैंडा का शिकार हुई, फिल्म विवादों से नहीं सच्चाई से बनती है
5