हरियाणा के हाउसिंग बोर्ड की मर्जिंग में अड़चनें:200 करोड़ में HSVP के साथ हो चुका समझौता, 10 हजार से ज्यादा फ्लैट खाली पड़े

by Carbonmedia
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हरियाणा में 54 साल से कार्य कर रहा हाउसिंग बोर्ड के हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) में मर्जिंग में दो अड़चनें सामने आ गई हैं। इन दो अड़चनों के कारण HSVP में बोर्ड के मर्ज होने में अभी देरी हो सकती है। तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. चौधरी बंसीलाल ने हाउसिंग बोर्ड को 1971 में गठित किया था। हाउसिंग बोर्ड ने 31 मार्च 2025 तक हरियाणा में 1 लाख फ्लैट बेचे थे, लेकिन हैरानी की बात यह रही इसमें 10 हजार से ज्यादा अभी तक खाली पड़े हैं। इसको HSVP में मर्ज करने का सरकार ने फैसला किया है। बताया जा रहा है कि कुल 200 करोड़ रुपए में समझौता हुआ है। हाउसिंग बोर्ड के पास अभी करीब 30 जगहों पर 300 एकड़ जमीन पड़ी है, जिसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है। बोर्ड बनाने का मकसद ‘नो प्रोफिट-नो लॉस’ की नीति पर गरीबों को मकान मुहैया कराना था। मर्जिंग में ये दो अड़चनें आ रही हैं सामने 1. कैबिनेट की मंजूरी हरियाणा में किसी भी बड़े फैसले से पहले कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर सरकार का मंजूरी लेना जरूरी होता है। ऐसे में अब जब भी सीएम नायब सैनी कैबिनेट बुलाते हैं उसमें इसकी मंजूरी ली जाएगी। इसके बाद ही सरकार इसमें आगे कोई भी फैसला लेगी। 2. विधानसभा में एक्ट में संशोधन जरूरी हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) एक्ट में बिना संशोधन के सरकार हाउसिंग बोर्ड को मर्ज नहीं कर पाएगी। इसलिए पहले कैबिनेट में मंजूरी के बाद सरकार आने वाले विधानसभा सत्र में प्राधिकरण के एक्ट में संशोधन करेगी। इसको लेकर सेशन में सरकार अध्यादेश भी ला सकती है। अब यहां पढ़िए सरकार ने क्यों लिया फैसला 1. फ्लैट की खराब क्वालिटी बड़ी वजह बोर्ड ने करीब एक लाख फ्लैट बनाकर बेचे हैं, लेकिन धीरे-धीरे बोर्ड की आर्थिक स्थिति गड़बड़ा गई और फ्लैट की क्वालिटी पर भी सवाल उठने लगे। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इसे समाप्त करने की मंजूरी दी थी। यह बोर्ड अब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) में शामिल हो गया है। 2. 100 करोड़ रुपए की देनदारी बोर्ड पर लोगों की 100 करोड़ रुपए की देनदारी है, जिसे चुकाने के लिए HSVP से पैसा लिया गया है। इसके बदले बोर्ड की करीब 200 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी HSVP को ट्रांसफर होगी। बोर्ड के पास अभी करीब 30-32 जगह 300 एकड़ जमीन और 10 हजार खाली फ्लैट हैं। 3. ये भी रही बोर्ड के मर्ज होने की एक वजह बोर्ड अपनी जमीन नहीं खरीदता है। उसे 3 जगह से जमीन मिलती है। पहली-प्राइवेट बिल्डर जब फ्लैट बनाता है तो वहां 20% छोटे फ्लैट हाउसिंग बोर्ड के हिस्से आते हैं। यह 50 स्क्वायर मीटर तक होते हैं। इन्हें बीपीएल व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिया जाता है। दूसरी- HSVP जब भी कोई सेक्टर विकसित करता है तो 1 से 5 एकड़ तक जमीन हाउसिंग बोर्ड को देता है। जमीन डेवलप वही करता है, पर फ्लैट बोर्ड बनाकर बेचता है। तीसरी- नगर निकाय से सस्ती दर पर जमीन लेकर पूर्व सैनिकों आदि के लिए बोर्ड स्कीम बनाता है। आम लोगों को नहीं मिल पाएंगे सस्ते मकान सरकार के इस फैसले के बाद अब हाउसिंग बोर्ड के जरिए सस्ते मकान खरीदने का सपना पूरा नहीं हो पाएगा, क्योंकि HSVP अपने प्लाट ऑक्शन पर बेचने लगा है, जो ऊंची बोली लगाने वाले ही खरीद पाते हैं। हालांकि, कुछ समय से बोर्ड भी ई-ऑक्शन से फ्लैट बेच रहा था, पर कीमत फिर भी प्राइवेट बिल्डरों से कम ही रही। 1971 में बनाया था, ‘नो प्रॉफिट-नो लॉस’ नीति‘ नो प्रोफिट-नो लॉस’ की नीति पर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सस्ते मकान बनाकर देने के लिए 1971 में हरियाणा हाउसिंग बोर्ड का गठन हुआ था। अब तक बोर्ड ने करीब एक लाख फ्लैट बनाकर बेचे हैं। लेकिन धीरे-धीरे बोर्ड की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाती गई और फ्लैट की क्वालिटी पर भी सवाल उठने लगे।

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