जम्मू-कश्मीर: एलजी सिन्हा मनोज सिन्हा की आतंकवाद पर दो टूक, कहा- ‘अब कलम और लैपटॉप उठाएंगे युवा’

by Carbonmedia
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जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को “शांति के लिए पेडल” साइकिल कार्यक्रम में हिस्सा लिया. यहां उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में अब “शांति खरीदने” की नहीं, बल्कि स्थायी और न्यायसंगत शांति स्थापित करने की दिशा में ठोस प्रयास हो रहे हैं.
उन्होंने दो टूक कहा कि प्रशासन आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है और इस युद्ध में कोई निर्दोष भी बख्शा नहीं जाएगा, और दोषी तो बिल्कुल नहीं.
उपराज्यपाल ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन की नीति अब स्पष्ट है कि आतंकवाद और उसके पूरे समर्थन तंत्र को जड़ से उखाड़ फेंकना है. उन्होंने बताया कि राज्य पुलिस की भूमिका आतंकवादियों की गतिविधियों को रोकने में ही नहीं, बल्कि उन्हें आर्थिक, सैन्य और नेटवर्क स्तर पर कमजोर करने में भी अहम है.
उन्होंने कहा, “सिर्फ आतंकवादियों से ही नहीं, बल्कि आतंक को हवा देने वाली पूरी मशीनरी से निपटना होगा.  चाहे वह छिपा हुआ वित्तीय समर्थन हो या विचारधारा फैलाने वाले तंत्र.”
आतंकवाद के शिकार परिवारों को न्याय
उपराज्यपाल सिन्हा ने बीते वर्षों की उस नीति की आलोचना की जिसमें आतंकियों के समर्थकों को सरकारी नौकरी मिलती थी जबकि आतंकवाद से प्रभावित निर्दोष परिवारों को अनदेखा किया जाता था. उन्होंने कहा कि अब प्रशासन ने उन परिवारों को न्याय देने का बीड़ा उठाया है जिन्होंने आतंक के चलते अपनों को खोया.
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि 13 जुलाई को बारामूला में ऐसे 40 पीड़ित परिवारों को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं. सिन्हा ने कहा, “कुछ युवाओं ने अपने पिता को दो साल की उम्र में खोया था. अब वे नौकरी पा रहे हैं.  ये केवल सहानुभूति नहीं, न्याय है.”
युवाओं के हाथों में कलम और लैपटॉप
सिन्हा ने “नए जम्मू-कश्मीर” की कल्पना को एक साकार होती सच्चाई बताते हुए कहा कि आज यहां के युवाओं के हाथों में पत्थरों की जगह कलम और लैपटॉप हैं. उन्होंने कहा, “अब स्कूल और कॉलेज साल भर खुले रहते हैं, हड़ताल और बंद की राजनीति पीछे छूट चुकी है.”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब जम्मू-कश्मीर का कैलेंडर अलगाववादी नारों और हड़तालों से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों से भरा होता है.
स्टार्टअप्स और इनोवेशन का नया दौर
उपराज्यपाल ने बताया कि आज जम्मू-कश्मीर के युवा न केवल पढ़ाई में आगे हैं, बल्कि स्टार्टअप्स और नवाचार में भी शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “कारखानों की चहल-पहल, धार्मिक मेलों की रौनक और सुरक्षित सामाजिक जीवन इस बदलाव के सबसे बड़े संकेत हैं.”
जनता से सुरक्षा बलों के साथ सहयोग की अपील
उपराज्यपाल सिन्हा ने जनता से अपील की कि वे सुरक्षा बलों के साथ मिलकर स्थायी शांति स्थापित करें. उन्होंने कहा, “शांति केवल संघर्ष न होने की स्थिति नहीं है, यह न्याय, अवसर और आशा की उपस्थिति है. हम चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर का हर नागरिक इस शांति का भागीदार बने.”
उन्हें विश्वास है कि “नया जम्मू-कश्मीर” अब केवल एक राजनैतिक वादा नहीं, बल्कि धरातल पर बदलती हुई वास्तविकता है, जो हर नागरिक को सुरक्षित, सम्मानजनक और उज्जवल भविष्य की ओर ले जा रही है.

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