एक ओर कोरोना के केस बढ़ रहे हैं, तो दूसरी ओर माैसम में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. ऐसे में कोरोना के साथ सीजन फ्लू का भी रिस्क बढ़ गया है. दोनों ही वायरल इंफेक्शन हैं. दोनों ही केसेज में कई लक्षण सामान्य होते हैं. इसके चलते लोगों को दिक्कत होने पर ये पता लगाने में कठिनाई होती है कि आखिर वह किससे पीड़ित हैं, कोरोना या फिर सीजन फ्लू से. इसके लिए आपको दोनों ही बीमारियों के डिफरेंस क्लीयर होने चाहिए. हम आपको कुछ ऐसे ही अंतर बताने जा रहे हैं, जिससे आपके मन ये शंका दूर हो सकेगी.
कोविड 19 के लक्षण
कोविड 19 में सूखी खांसी, बुखार और सांस फूलना इसके सामान्य लक्षण हैं. इस इंफेक्शन का असर फेफड़ों पर पड़ता है. जिससे फेफड़ों के टिश्यू और वायुमार्ग को नुकसान पहुंच सकता है. इससे छाती पर भारी पन महसूस हो सकता है.कोविड के वैरिएंट के अनुसार इसके लक्षणों में भी बदलाव देखने को मिल सकता है. कई केसेज में लोगों को खाने में किसी तरह का स्वाद नहीं आता है और कोई भी स्मेल महसूस नहीं होती है. इससे संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने में लगने वाला समय इंफेक्शन के वैरिएंट पर निर्भर कर सकता है. सामान्य संक्रमित व्यक्ति दो हफ्तों में या उससे पहले रिकवर हो जाता है. कई केसेज में इसका लाॅन्ग टर्म इफेक्ट भी नजर आ सकता है.
सीजनल फ्लू के लक्षण
सीजनल फ्लू को इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है. यह संक्रामक वायरल बीमारी है, जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होती है. यह बीमारी आमतौर पर सर्दियों और बारिश के मौसम में ज्यादा फैलती है. दरअसल, यह बीमारी हवा के माध्यम से, खांसने, छींकने या संक्रमित सतहों को छूने से एक व्यक्ति से दूसरे में फैलती है. सामान्य तौर पर यह बीमारी हल्की होती है और कुछ दिन में ठीक हो जाती है, लेकिन बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी सिस्टम वाले लोगों में यह गंभीर रूप ले सकती है. इसके लक्षण में तेज बुखार, ठंड लगना और पसीना आना, गले में खराश, सूखी खांसी, नाक बहना या बंद होना, मांसपेशियों में दर्द और थकान, सिरदर्द, भूख न लगना आदि शामिल होते हैं.
सीजनल फ्लू और कोविड 19 में अंतर
- सीजनल फ्लू में नाक बहना सामान्य लक्षण है, जबकि कोविड में रेयर केसेज में दिखता है
- कोविड लंग्स को इफेक्ट करता है, जिसके चलते छाती पर भारी और सांस फूलने की दिक्कत सामने आ सकती है, वहीं सीजन फ्लू में ऐसा सामान्यत देखने को नहीं मिलता
- फ्लू 7 से 10 दिन में ठीक हो जाता है, वहीं कोविड के केसेज में रिकवरी टाइम शाॅर्ट और लाॅग्न टर्म दोनों ताैर पर दिखाई दे सकता है.
- मरीज ठीक होने के बाद भी कई महीनों तक थकान, कमजोरी और मेंटल कंफ्यूजन महसूस कर सकता है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.