हरियाणा के अंबाला की मेयर ने सीएम को अधिकारियों के न सुनने की शिकायत की है। मेयर ने सीएम से कहा है कि अधिकारी उनकी सुनते नहीं हैं। न ही शहर में सफाई के लिए न ही कोई मीटिंग में साथ नहीं आते हैं। मेयर ने दी अपनी शिकायत में साफ लिखा है कि वह अंबाला को साफ बनाना चाहतीं हैं। लेकिन, अधिकारी उसमें बाधा बन रहे हैं। वह अंबाला में सफाई को लेकर मीटिंग करती हैं तो अधिकारी उसमें सम्मलित नहीं होते। गिरती रैंकिंग को लेकर चिंतित मेयर ने अपने पत्र में कहा कि अंबाला नगर निगम के अधिकारी हरियाणा भाजपा सरकार को बदनाम करने के लिए अपने छुपे हुए एजेंडे को चला रहे हैं। लगातार 3 वर्षों से अंबाला नगर निगम की रैंकिंग स्वछता सर्वेक्षण में गिर रही है और अंबाला स्वच्छता के क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है। पिछले दो सालों से इतनी ज्यादा स्थिति खराब है कि अंबाला नगर निगम बरसात के दिनों में पूरी तरह से जल मग्न हो गया था, जिसका नुकसान हमें लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हार के रूप में उठाना पड़ा। इस सब के बावजूद भी अंबाला नगर निगम की अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने अपना छुपा हुआ एजेंडा जारी रखते हुए फिर से वैसे ही प्रयास जारी किए हुए हैं। मेयर द्वारा भेजा गया पत्र
बैठक के लिए नहीं पहुंच रहे अधिकारी मेयर ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि नगर निगम में सफाई के सुधार को लेकर उनके द्वारा पिछले लगभग 15 दिनों से बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, अधिकारी बातचीत के लिए नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एएमसी दीपक सूरा जिसने अंतिम समय में बैठक में उन्होंने शामिल होने से मना कर दिया। मेयर ने लिखा- अधिकारियों में सरकार का भय नहीं मेयर ने अपने पत्र में लिखा है कि अधिकारियों का यह रवैया स्पष्ट अंकित करता है कि उनको नायब सिंह सैनी सरकार का ना तो कोई भय है, ना ही वह सरकार की चुनी हुई मेयर को जवाब देना या उसके आदेशों को मनाना उचित समझते हैं। मेयर का अगले चुनाव में मिल सकती है कड़ी चुनौती- मेयर मेयर ने कहा कि नगर निगम अंबाला में ट्रिपल इंजन की सरकार के तीसरे इंजन मेयर के आदेशों को लागू करने की शक्ति न दी तो जिस प्रकार लोकसभा, विधानसभा के चुनाव में हमें हार का सामना करना पड़ा, उसी प्रकार जनवरी में होने वाले मेयर के चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
अंबाला मेयर ने लिखा सीएम सैनी को पत्र:बोलीं- अधिकारी उनकी सुनते नहीं, मीटिंग में आते नहीं; आने वाले चुनाव में होंगी दिक्कत
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