‘अंबेडकर के संविधान में नहीं थे धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द’, कांग्रेस से बोले RSS महासचिव- माफी मांगें, आपके पूर्वजों ने…

by Carbonmedia
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान करते हुए गुरुवार (26 जून, 2025) को कहा कि इन्हें आपातकाल के दौरान शामिल किया गया था और ये कभी भी उस संविधान का हिस्सा नहीं थे, जिसे बीआर आंबेडकर ने तैयार किया था.
आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, ‘बाबा साहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे. आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए.’
दत्तायेत्र होसबोले ने कहा कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा हुई लेकिन प्रस्तावना से उन्हें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया. होसबाले ने कहा, ‘इसलिए उन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए.’ होसबोले ने कहा, ‘प्रस्तावना शाश्वत है. क्या समाजवाद के विचार भारत के लिए एक विचारधारा के रूप में शाश्वत हैं?’
वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने दोनों शब्दों को हटाने पर विचार करने का सुझाव ऐसे समय दिया जब उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल के दौर की ज्यादतियों के लिए निशाना साधा और पार्टी से माफी की मांग की.
25 जून, 1975 को घोषित आपातकाल के दिनों को याद करते हुए दत्तायेत्र होसबाले ने कहा कि उस दौरान हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया और उन पर अत्याचार किया गया, वहीं न्यायपालिका और मीडिया की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगाया गया.
आरएसएस नेता ने कहा कि आपातकाल के दिनों में बड़े पैमाने पर जबरन नसबंदी भी की गईं. उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने ऐसी चीजें कीं, वे आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं. उन्होंने अभी तक माफी नहीं मांगी है…वे माफी मांगें.’ कांग्रेस पर हमला करते हुए होसबाले ने कहा, ‘आपके पूर्वजों ने ऐसा किया… आपको इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए.’
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 50 साल पहले इंदिरा गांधी नीत सरकार की ओर से आपातकाल लगाए जाने को लेकर कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में 21 महीने के आपातकाल के दौरान किए गए अत्याचारों को कभी नहीं भुलाया जा सकता.
उन्होंने कहा, ‘अपनी कुर्सी बचाने और लोगों की आवाज दबाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आपातकाल लगाने की घोषणा की और संविधान की भावना को कुचल दिया.’ नितिन गडकरी ने कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान में कई संशोधन किए गए और संविधान की धज्जियां उड़ाई गईं.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘कांग्रेस नेताओं ने हमारे खिलाफ अभियान चलाया (आरोप लगाया) कि हम संविधान बदल देंगे. हमने न तो कभी संविधान बदलने की बात की और न ही ऐसा करने की हमारी कोई इच्छा है. अगर किसी ने संविधान का उल्लंघन करने का सबसे बड़ा पाप किया, तो वह इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस थी.’

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