अखिलेश यादव के केदारेश्वर मंदिर का रुक जाएगा काम, बदलेगा नाम और डिजाइन! जानें- क्यों शुरू हुई ये चर्चा?

by Carbonmedia
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उत्तर प्रदेश के इटावा में केदारेश्वर मंदिर’ के निर्माण पर अब विवाद होता नजर आ रहा है. केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों ने इस विषय पर अपना आक्रोश जताया है. चारधाम महापंचायत ने आंदोलन की चेतावनी दी है वही उन्होंने बीकेटीसी की चुप्पी पर उठाए सवाल खड़े किए है. 
बता दें कि उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा ‘केदारेश्वर मंदिर’ के निर्माण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. 
केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर बनाए गए इस मंदिर को लेकर उत्तराखंड के केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने तीखा विरोध जताया है. चारधाम महापंचायत और केदारनाथ के तीर्थ पुरोहितों ने इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताते हुए सपा प्रमुख के खिलाफ विरोध की चेतावनी दी है. 
चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष और केदारनाथ धाम के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा कि केदारनाथ धाम न केवल एक मंदिर है बल्कि यह करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. ऐसे में उसी स्वरूप और नाम से किसी अन्य राज्य में मंदिर का निर्माण धार्मिक परंपराओं और श्रद्धालुओं की भावनाओं का अपमान है. 
तीर्थ पुरोहितों ने आरोप लगाया है कि इटावा में बन रहे केदारेश्वर मंदिर’ पूरी तरह से केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति है जिसमें नाम, ढांचा,रंग और स्वरूप लगभग एक जैसे हैं. उन्होंने इसे उत्तराखंड की आस्था, परंपरा और स्थानीय लोगों के सम्मान के साथ खिलवाड़ बताया है. संतोष त्रिवेदी ने यह भी कहा है कि उत्तराखंड की कैबिनेट पहले ही इस तरह के प्रतीकात्मक निर्माण पर रोक लगाने का प्रस्ताव पारित कर चुकी है. इसके बावजूद ऐसा निर्माण कार्य होना दुर्भाग्यपूर्ण है. 
तीर्थ पुरोहितों ने की ये मांगतीर्थ पुरोहितों ने यह भी कहा कि पहले भी दिल्ली में जब इसी तरह के एक मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था. तो देशभर में विरोध हुआ और बाद में निर्माण रुकवाना पड़ा था. अब यदि इटावा में बने मंदिर को लेकर उचित कार्रवाई नहीं हुई तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव के आवास के बाहर भी प्रदर्शन किया जाएगा.
चारधाम महापंचायत ने बद्री-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) की चुप्पी पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं. तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि बीकेटीसी का सारा ध्यान कमाई पर है जबकि यात्रियों को कोई बुनियादी सुविधा नहीं दी जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि समिति ऐसे गंभीर धार्मिक मुद्दों पर भी निष्क्रिय बनी हुई है. 
तीर्थ पुरोहितों ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से मांग की है कि इटावा में बने मंदिर का नाम, डिज़ाइन और रंग-रूप तत्काल बदला जाए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मांगें पूरी नहीं की गईं तो पूरे उत्तराखंड और देश भर में तीर्थ पुरोहित बड़ा आंदोलन करेंगे. 
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तीर्थ पुरोहितों ने यह भी कहा कि अखिलेश यादव ने आज तक कभी केदारनाथ धाम की यात्रा नहीं की. लेकिन उन्होंने वहां के मंदिर की नकल कर उत्तर प्रदेश में धार्मिक राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की है, जो हमें मंजूर नहीं है.  यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब देशभर में धार्मिक प्रतीकों और परंपराओं को लेकर लोगों की संवेदनशीलता लगातार बढ़ रही है. अब देखना होगा कि योगी सरकार और बीकेटीसी इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं.

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