अगर खड़े होते ही आते हैं चक्कर तो इस समस्या को न करें नजरअंदाज, हो सकती है ये बीमारी

by Carbonmedia
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आमतौर पर कई बार देखा जाता है कि लोग लेटने या लंबे समय तक बैठने के बाद जैसे ही अचानक खड़े होते हैं उन्हें चक्कर आने लगता है. इसके अलावा आंखों के सामने धुंधलापन छा जाता है या कमजोरी महसूस होने लगती है तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. एक्सपर्ट इसे एक प्रकार का लो ब्लड प्रेशर मानते हैं जिसे मेडिकल भाषा में ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन या पोस्चरल हाइपोटेंशन कहा जाता है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताएंगे कि खड़े होते ही चक्कर क्यों आते हैं इसके लक्षण क्या है और इसके बचाव क्या हो सकते हैं.
खड़े होते ही क्यों गिरता है ब्लड प्रेशर
कुछ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब कोई व्यक्ति अचानक खड़ा होता है तो गुरुत्वाकर्षण बल के कारण शरीर का खून पैरों में जमा हो जाता है. जिससे दिल की ओर लौटने वाला ब्लड कम हो जाता है और अचानक ब्लड प्रेशर गिरने लगता है इससे ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन कहते हैं. दिल और ब्लड सेल्स इस कमी की भरपाई के लिए तेजी से प्रतिक्रिया देते हैं. जिसमें दिल तेजी से धड़कने लगता है और सेल्स सिकुड़ती है ताकि ब्लड सर्कुलेशन बना रहे लेकिन जिन लोगों में यह प्रतिक्रिया कमजोर होती है उन्हें चक्कर या बेहोशी जैसी समस्याएं हो सकती है.
किन लोगों को होता है ज्यादा खतरा
एकदम से उठने के बाद चक्कर या बेहोशी जैसी समस्याओं का खतरा आमतौर पर बुजुर्गों को ज्यादा होता है. इसके अलावा डिहाइड्रेशन की कमी से जूझ रहे या फिर कुछ खास दवाई लेने वाले लोगों को भी इसका खतरा सबसे ज्यादा होता है.
क्या हैं इसके लक्षण
ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन के लक्षण में सबसे ज्यादा आम लक्षण चक्कर आना या सिर का घूमना होता है. इसके अलावा आंखों का धुंधलापन भी इसका लक्षण होता है. वहीं अचानक कमजोरी, थकावट, जी मिचलाना भी इसका लक्षण हो सकता है. इनके अलावा गंभीर स्थिति में बेहोश हो जाना भी इसका लक्षण होता है. ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन में यह सभी लक्षण खड़े होते ही शुरू हो जाते हैं और बैठने या लेटने के बाद थोड़ी देर में ठीक हो जाते हैं. लेकिन बार-बार ऐसा होना खतरे का संकेत हो सकता है.
जाने कब डॉक्टर को दिखाना हो सकता है जरूरी
डॉक्टर बताते हैं कि अगर किसी को बार-बार बेहोशी आती है या बार-बार खड़े होते ही चक्कर आते हैं तो इसे हल्के में न लें. यह किसी गंभीर मेडिकल समस्या का संकेत हो सकता है. जैसे नर्वस सिस्टम की गड़बड़ी, हार्ट संबंधी बीमारियां या न्यूरोलॉजिकल दिक्कत की वजह से ऐसा हो सकता है. ऐसे में अगर आपके साथ भी यह समस्या बार-बार होती है तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
क्या है बचाव का तरीका
इस समस्या से बचने के लिए काफी देर बैठे या लेटे रहने के बाद खड़े होने से पहले धीरे-धीरे उठें, खासकर बिस्तर से. इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें ताकि आपको डिहाइड्रेशन न हो. इसके अलावा कॉम्प्रेशन स्टॉकिंग्स पहने जिससे पैरों में ब्लड पुलिंग ना हो. इस समस्या से बचने के लिए भारी भोजन न करें और छोटे-छोटे और हल्के कदम चलने की कोशिश करें. साथ ही नियमित एक्सरसाइज करते रहे ताकि शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बना रहे.ये भी पढ़ें- प्रेग्नेंसी के इन महीनों में बना सकते हैं शारीरिक संबंध, ज्यादातर लोग नहीं जानते ये बात

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