दुनिया में मौजूद अगर सबसे खतरनाक हथियारों की बात करें, तो उसमें परमाणु बम का नाम जरूर शामिल किया जाता है. इसके बारे में कहा जाता है कि अगर तीसरा विश्वयुद्ध होता है तो परमाणु हथियारों का प्रयोग जरूर होगा, जो मानव इतिहास में सबसे बड़ी त्रासदी साबित होगी. इससे न सिर्फ जान-माल की हानि होगी, बल्कि एक पूरी सभ्यता नष्ट हो जाएगी. यानी कि अगर इसका प्रयोग हुआ तो यह मानव सभ्यता पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ जाएगी, जिसका उदाहरण हमें जापान हिरोशिया और नागासाकी में देखने को मिलती है. परमाणु हमले की स्थिति में केवल चोट या धमाके से ही नुकसान नहीं होता, बल्कि शरीर में एक खतरनाक बीमारी सबसे पहले फैलती है. इसे कहते हैं त्वरित विकिरण रोग (Acute Radiation Syndrome – ARS).
क्या है यह बीमारी?
परमाणु धमाके के कुछ मिनटों से कुछ घंटों के भीतर शरीर में विकिरण का असर दिखने लगता है. रेडिएशन शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और शुरुआत होती है ARS की. इसके लक्षण होते हैं.
उलटी, थकान, बुखार और कमजोरी
सिर दर्द, दिल की धड़कन का गिरना
खून से दस्त और घावों का जल्दी न भरना
रेडिएशन शरीर की रक्त-निर्माण कोशिकाओं को खत्म कर देता है. इससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और इंसान सामान्य संक्रमण से भी मर सकता है.
Hiroshima से क्या सीखा गया?
Hiroshima पर बम गिरने के बाद कई लोग तुरंत नहीं मरे. कुछ दिखने में ठीक थे लेकिन कुछ घंटों में उनकी हालत बिगड़ने लगी. उनके शरीर में विकिरण ने कोशिकाएं नष्ट कर दी थीं. कुछ दिनों में बाल झड़ने, बुखार, खून की कमी और घावों से मवाद निकलने जैसे लक्षण दिखे. यह सब Radiation Sickness यानी ARS के संकेत थे.
क्यों होती है यह लाइलाज?
यह बीमारी बहुत तेजी से शरीर को कमजोर करती है
इलाज शुरू होने तक शरीर की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है
शरीर खून नहीं बना पाता, जिससे इन्फेक्शन बढ़ते हैं
कई मामलों में इलाज से पहले ही मौत हो जाती है
क्या है बचाव का तरीका?
धमाके के तुरंत बाद ठोस दीवारों वाली बिल्डिंग में छिपें
रेडिएशन की मात्रा मापने वाला यंत्र रखें
उलटी, बुखार या थकान महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
सरकारी या बचाव टीम की सलाह का पालन करें
परमाणु हमले की स्थिति में सबसे पहला खतरा होता है ARS यानी त्वरित विकिरण रोग. यह बीमारी मिनटों में असर दिखाती है और समय रहते इलाज न मिले तो जान बचाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए ऐसे समय में सही जगह शरण लेना और मेडिकल मदद जल्दी पाना ही जीवन बचा सकता है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.