महाराष्ट्र में सांगली जिले के वरिष्ठ नेता अण्णासाहेब डांगे बुधवार (30 जुलाई) को बीजेपी में शामिल हो गए. उनके साथ उनके दो बेटे चिमण डांगे और विश्वनाथ डांगे ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया. मुंबई में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण की उपस्थिति में डांगे और उनके बेटे ने बीजेपी की सदस्यता ली. इस मौके पर अण्णासाहेब डांगे के कई कार्यकर्ता भी पार्टी में शामिल हुए.
अण्णासाहेब डांगे ने पहले कांग्रेस को राज्य की सत्ता से बाहर रखने में अहम भूमिका निभाई थी. उनका नेतृत्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि में तैयार हुआ था. बाद में वे शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे, लेकिन वे राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं थे. अब वे दोबारा बीजेपी में लौट आए हैं.
शरद पवार गुट को झटका!
माना जा रहा है कि डांगे के पार्टी में शामिल होने से सांगली में बीजेपी की ताकत और बढ़ गई है. साथ ही शरद पवार गुट के नेता जयंत पाटील को इससे झटका लगने की संभावना जताई जा रही है.
अण्णासाहेब डांगे का सियासी अनुभव
अण्णासाहेब डांगे ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के लिए काम करके की.
बाद में वे बीजेपी में शामिल हुए और कुछ समय के लिए मंत्री भी रहे.
अण्णासाहेब डांगे ने पार्टी में विभिन्न पदों पर कार्य किया.
डांगे ने धनगर समाज के आरक्षण समेत कई मुद्दों पर आवाज उठाई थी.
उन्होंने ‘धनगर’ और ‘धनगड’ शब्दों के विवाद को सुलझाने की भी कोशिश की थी, जो आरक्षण में बाधा बना हुआ था.
1995 में युति सरकार के दौरान वे ग्रामीण विकास मंत्री थे और सांगली जिले के पालकमंत्री भी रहे.
उनके कार्यकाल में सांगली, मिरज और कुपवाड शहरों की संयुक्त महापालिका की स्थापना हुई थी.
MVA सरकार बनने के बाद NCP में हुए थे शामिल
महाविकास आघाड़ी सरकार बनने के बाद उन्होंने एनसीपी में प्रवेश किया था. चिमण डांगे और विश्वास डांगे जयंत पाटील के नेतृत्व में काम कर रहे थे, लेकिन अण्णासाहेब डांगे ज्यादा सक्रिय नहीं थे. अण्णासाहेब डांगे का बीजेपी से पुराना नाता रहा है. उनके जयंत पाटील समेत बीजेपी नेताओं से भी अच्छे संबंध रहे हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस में फूट पड़ने के बाद से उनके बीजेपी में जाने की चर्चा शुरू हो गई थी और अब उन्होंने एक बार फिर बीजेपी का झंडा थाम लिया है.