अनोखा था किशोर कुमार का जवाब देने का तरीका, एक बार तो फीस न मिलने पर मुंडवा लिया था आधा सिर

by Carbonmedia
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बॉलीवुड में कई कलाकर अपनी प्रतिभा और मेहनत से चमकते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपनी अलग सोच और बेमिसाल अंदाज से इतिहास रच देते हैं. किशोर कुमार उन्हीं में से एक थे. उन्होंने न केवल अपने गायकी से बल्कि अपनी मस्ती और मजेदार व्यक्तित्व से भी सभी का दिल जीता. आज हम आपको उनसे जुड़ा एक मशहूर किस्सा बताएंगे जब प्रोड्यूसर से टकराव होने पर उन्होंने अपना सर मुंडवा लिया था.
आधा सिर मुंडवा कर सेट पर पहुंच गए किशोर कुमारकिशोर दा के नाम से यूं तो कई किस्से मशहूर हैं लेकिन एक इंटरव्यू में उनकी पत्नी लीना चंदावरकर ने प्रोड्यूसर के साथ टकराव का अनोखा किस्सा सुनाया था. उन्होंने बताया कि एक बार किशोर दा किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे लेकिन उस वक्त प्रोड्यूसर ने उन्हें आधी पेमेंट ही दी थी. लेकिन प्रोड्यूसर ने किशोर दा को आश्वासन दिया कि फिल्म पूरी होने के बाद उन्हें पूरा पेमेंट मिल जाएगा.
इस बात से रूठ कर किशोर कुमार ने अपने बेबाक अंदाज से प्रोड्यूसर को जवाब दिया. अगले दिन वो अपनी आधी मूंछ और आधे बाल मुंडवा कर सेट पर पहुंच गए. जब उनसे इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा, ‘आधे पैसे मिले हैं तो गेटअप भी आधा ही होगा, पूरे पैसे मिलेंगे तो गेटअप भी पूरा हो जाएगा’. किशोर दा जो भी करते, दिल से करते और अगर कुछ गलत लगता, तो उसे अपने ही अनोखे तरीके से जवाब भी देते थे.

कैसे आभास कुमार गांगुली बन गए मशहूर सिंगर किशोर कुमार?किशोर दा का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा में हुआ था. उनके पिता का नाम उनके पिता का नाम कुंजालाल गांगुली और माता का नाम गौरी देवी था. वे अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. उनके पिता खंडवा के नामी वकील थे. उनके भाई अशोक कुमार उस जमाने के मशहूर अभिनेता थे और उनकी इच्छा थी कि किशोर कुमार भी अभिनय में अपना दमखम दिखाए.
अपने भाई के सपने को पूरा करने के लिए किशोर ने 1946 में ‘शिकारी’ फिल्म में बतौर मुख्य अभिनेता काम किया. इसके बाद 1951 में फणी मजूमदार की फिल्म ‘आंदोलन’ की, लेकिन उनका मन गायकी में अधिक था. उन्होंने अपने दिल की आवाज सुनी और गायकी में खुद को झोंक दिया. शुरुआत में उन्हें ज्यादा गाने नहीं मिले, क्योंकि उन्होंने कभी संगीत की औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी.
लेकिन एसडी बर्मन ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें ‘मरने की दुआएं क्यों मांगूं’ जैसे गानों से लॉन्च किया. इसके बाद ‘चलती का नाम गाड़ी’ और ‘नौकरी’ जैसी फिल्मों में उन्होंने एक ही साथ अभिनय, गायन और संगीत का जिम्मा निभाया.किशोर कुमार ने एक से बढ़कर एक रोमांटिक और क्लासिकल गाने दिए.

सिंगिंग के साथ फिल्मों में भी बनाई थी पहचान 1960 के दशक में उन्होंने फिल्मों के निर्देशन और लेखन में भी हाथ आजमाया. 1969 में फिल्म ‘आराधना’ का गाना ‘रूप तेरा मस्ताना’ सुपरहिट हुआ और उसने किशोर कुमार के करियर को ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया.  इसके बाद 1970 का दशक पूरी तरह किशोर कुमार के नाम रहा.
जब राजेश खन्ना का दौर चला तो किशोर दा उनकी आवाज बने और जब अमिताभ बच्चन आए तो उन्होंने बिग बी के फिल्मों में भी अपनी आवाज दी. ‘मेरे नैना सावन भादो’ और ‘प्यार दीवाना होता है’ जैसे गानों से उन्होंने साबित किया कि उनकी गायकी में गहरी संवेदना भी है.
अमर रहेगी किशोर कुमार की लेगेसीकिशोर कुमार ने अपने करियर में लगभग हर संगीतकार के साथ काम किया, चाहे वो आर.डी. बर्मन हों, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, कल्याणजी-आनंदजी या बप्‍पी लाहिरी.  1980 के दशक में जब नए गायकों के बीच भी किशोर कुमार ने अपनी जगह बरकरार रखी. उनका आखिरी रिकॉर्ड किया गया गाना ‘गुरु-गुरु’ था, जिसे उन्होंने अपनी मृत्यु से एक दिन पहले गाया था.
13 अक्टूबर 1987 को, 58 साल की उम्र में, दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. लेकिन उनके करियर की चमक आज भी कम नहीं हुई है और आज भी किशोर दा अपने गानों के जरिए हम सब के बीच जिन्दा हैं.आज भी सिंगिग रियलिटी शोज में बच्चे जब उनके गाए गीत गाते हैं तो एहसास होता है कि वाकई किशोर दा जैसे कलाकार कभी मरा नहीं करते, वो अमर होकर खुशियां बिखरते हैं

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