Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में साफ किया है कि कोई भी बालिग लड़की अपनी मर्जी से किससे विवाह करेगी, यह तय करने का उसे संवैधानिक अधिकार है. किसी भी बालिग लड़की के विवाह के निर्णय में परिवार या समाज द्वारा आपत्ति जताना या हस्तक्षेप करना घोर अनुचित और असंवैधानिक है.
यह फैसला न्यायमूर्ति मुनिर और न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरी की खंडपीठ ने सुनाया. अदालत ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर व्यक्ति को अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने का अधिकार है और इसमें कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर सकता.
दरअसल, मामला मिर्जापुर जिले के चुनार थाना क्षेत्र से जुड़ा है, जहां एक युवती ने आरोप लगाया कि वह अपने पसंद के व्यक्ति से विवाह करना चाहती है, लेकिन उसके परिवार वाले उसे धमका रहे हैं और जबरदस्ती किसी और से विवाह का दबाव बना रहे हैं. युवती ने एफआईआर में कहा है कि अपहरण की धमकी भी दी जा रही है.
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युवती ने किया था ये दावाएफआईआर में युवती ने अपने पिता अमरनाथ यादव और भाई पर आरोप लगाते हुए कहा कि परिवार की मर्जी के खिलाफ विवाह करने के चलते उसे परेशान किया जा रहा है. इसके विरोध में परिवार के सदस्यों ने आईपीसी की धाराओं 140(3), 62 और 352 के तहत मामला दर्ज करवाया था.
हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और साथ ही साफ किया है कि युवती के जीवन में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. कोर्ट ने राज्य सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है.
अपनी पसंद से बालिग लड़की शादी कर सकती है या नहीं? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
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