नेशनल ऑटोमेटिड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएएफआईएस) अपराधियों को पकड़ने में बहुत मददगार साबित हो रहा है। इसी सिस्टम के तहत चंडीगढ़ पुलिस ने साल 2023 से अब तक 29,300 अपराधियों का डाटा जुटाया है। ये वे अपराधी हैं, जिन्होंने शहर के अलग-अलग एरिया में वारदातें की हैं। चाहे वह छोटा केस या बड़ा, सबमें शामिल रहे आरोपियों के फिंगर प्रिंट व अन्य जानकारी जुटाकर एनएएफआईएस पोर्टल पर अपलोड की गई है। पहले सिर्फ अपराधी के फिंगर प्रिंट लिए जाते थे। पिछले महीने से रेटिना स्कैन भी शुरू हो गया है। दिसंबर तक फेस रिकॉग्नेशन और फुट प्रिंट सिस्टम भी शुरू हो जाएगा। यह सब होने के बाद अपराधियों के इस डाटा को एनएएफआईएस से लिंक कर दिया जाएगा। इसका फायदा ये होगा कि देश के किसी भी कोने में अगर उसने अपराध किया और कुछ भी सबूत छोड़े तो उसकी इस सिस्टम से पहचान हो जाएगी। जल्द ही इसमें डीएनए टेस्ट की सुविधा भी जुड़ जाएगी। इसके लिए नेशनल स्तर पर दिल्ली एनसीआरबी और कलकत्ता लैब में काम चल रहा है। चंडीगढ़ पुलिस की फिंगरप्रिंट लैब सेक्टर-43 कोर्ट की बेसमेंट में है। किसी भी पुलिस स्टेशन में कोई केस दर्ज होता है और मुलाजिम आरोपी को कोर्ट में लेकर जाते हैं तो बेसमेंट में बनी लैब में आरोपी के फिंगरप्रिंट लिए जाते हैं। यहीं फोटो और रेटिना का डाटा भी अपलोड होता है। केस-1 }14 साल पुराना नेहा अहलावत मर्डर केस नेहा मर्डर केस में 14 साल पहले मौके से मिले फिंगरप्रिंट और प्रिजर्व कर रखे डीएनए सैंपल से ही पुलिस आरोपी मोनू को पकड़ पाई। मोनू ने नेहा के अलावा मलोया में एक महिला का मर्डर-रेप किया था। सेक्टर-54 के जंगल में एक अधेड़ उम्र की महिला का मर्डर व रेप अटैंप्ट किया था। इस मर्डर के बाद पुलिस ने फिंगरप्रिंट व डीएनए का मैच किया तो मोनू ही आरोपी िनकला। फिलहाल वह जेल में है। केस-2 }आईटी पार्क युवती ब्लाइंड मर्डर केस… आईटी पार्क के होटल में गर्लफ्रेंड का कत्ल कर ब्वॉयफ्रेंड फरार हो गया था। सीसीटीवी फुटेज तो थी, लेकिन कोर्ट में पेश करने के लिए साइंटिफिक सबूत नहीं थे। पुलिस की मोबाइल फोरेंसिक टीम ने होटल रूम में शराब के गिलास और टूटी बोतल से फिंगर प्रिंट उठाए। इनकी बदौलत ही पुलिस आरोपी तक पहुंची। पहले ऐसा होता था… अपराधी की अंगुलियों पर स्याही लगाकर एक सफेद पेपर पर फिंगर प्रिंट लिए जाते थे। लेकिन अब उनके प्रिंट को कैप्चर मशीन पर लिया जाता है। चंद सैकेंड में अपलोड होते ही पता लग जाता है कि क्या इस क्रिमिनल ने देश में कहीं अपराध किया है। सीसीटीवी कैमरों से जोड़ा जाएगा इस सिस्टम को सूत्रों के अनुसार अब इस लैब में फेस रिकॉग्नेशन सिस्टम पर काम चल रहा है, जिसे शहर में लगे सीसीटीवी कैमरों से जोड़ा जाएगा। इस सिस्टम में यदि पुराने क्रिमिनल का साइड पोज भी कैप्चर हो जाएगा तो एक्सपर्ट को उसके बारे में पता चल जाएगा। इस सिस्टम से केस भी सॉल्व किए… और कुछ भी सबूत छोड़े तो उसकी इस सिस्टम से पहचान हो जाएगी। जल्द ही इसमें डीएनए टेस्ट की सुविधा भी जुड़ जाएगी। इसके लिए नेशनल स्तर पर दिल्ली एनसीआरबी आैर कलकत्ता लैब में काम चल रहा है। चंडीगढ़ पुलिस की फिंगरप्रिंट लैब सेक्टर-43 कोर्ट की बेसमेंट में है। किसी भी पुलिस स्टेशन में कोई केस दर्ज होता है और मुलाजिम आरोपी को कोर्ट में लेकर जाते हैं तो बेसमेंट में बनी लैब में आरोपी के फिंगरप्रिंट लिए जाते हैं। यहीं फोटो और रेटिना का डाटा भी अपलोड होता है।
अपराधियों का फुट प्रिंट और फेस रिकॉग्नेशन डाटा भी होगा अपलोड
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