देश के सर्वोच्च न्यायालय ने स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल और इंडस्ट्रियल शेड के निर्माण में पर्यावरण मंजूरी की छूट देने की याचिका को रद्द कर दिया है. इस संबंध में इस साल की शुरुआत में हीं 29 जनवरी, 2025 को आई केंद्र सरकार की अधिसूचना को वनशक्ति नाम की संस्था ने चुनौती दी थी. इस मामले पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई और के. विनोद चंद्रन की बेंच ने इस छूट को गलत बताया. उन्होंने कहा, “सभी जानते हैं कि आज के समय में शिक्षा भी एक उद्योग है. प्राकृतिक संशाधनों को भावी पीढ़ियों के लिए बचाए रखना जरूरी है. इसलिए, पर्यावरण नियमों का सख्ती से पालन जरूरी है.”
पहले लेनी पड़ती थी पर्यावरणीय मंजूरी, केंद्र सरकार ने बाद में किया था बदलाव
साल 2006 में जारी पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना यानी EIA नोटिफिकेशन के तहत 20 हजार वर्ग मीटर से अधिक के निर्माण से पहले पर्यावरण मंजूरी लेना आवश्यक है. इस साल जनवरी में केंद्र सरकार ने एक नई अधिसूचना जारी की. उसके तहत 2006 की अधिसूचना के क्लॉज 8(a) में एक नोट 1 जोड़ा गया. इस नोट के तहत स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल और इंडस्ट्रियल शेड के निर्माण को पर्यावरण मंजूरी से छूट दे गई. सिर्फ यह शर्त रखी गई कि उन्हें ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन, रेन वाटर हार्वेस्टिंग और पर्यावरण प्रबंधन की जिम्मेदारी लेनी होगी.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलीलें
केंद्र सरकार के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा, “केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय के लिए देश में हर निर्माण पर नजर रख पाना संभव नहीं है.” एसीजी की दलील से सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो भी निर्माण 2006 की अधिसूचना के दायरे में आते हैं, उन्हें मंजूरी देने का काम राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन ऑथोरिटी (SEIAA) कर सकती है.
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‘अब शिक्षा भी एक उद्योग ही है…’, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की स्कूल-कॉलेज निर्माण को पर्यावरण मंजूरी से छूट की अधिसूचना
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