अभिषेक बच्चन ने सिखाई स्क्रिप्ट रीडिंग की बारीकियां:कालीधर लापता’ फिल्म का बाल कलाकार दैविक बोला- 700 बच्चों में से मुझे चुना गया

by Carbonmedia
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अभिषेक बच्चन की आने वाली फिल्म कालीधर लापता का ट्रेलर जारी हुआ है। इसके एक सीन में एक 14 साल का बच्चा अभिषेक को कहता है, ‘हर एक रिश्ते की एक एक्सपायरी डेट होती है, अपने लिए जीना सीखो, वो करो जो तुम्हारा मन करे, बच्चन ने कहा है न, हम जहां से खड़े हो जाते हैं लाइन वहीं से शुरू हो जाती है।’ इस डायलॉग को पर्दे पर कैसे कहना है इसमें अभिषेक बच्चन ने भी इस बच्चे की मदद की है। दरअसल, इस बच्चे का नाम है दैविक बाघेला जो भोपाल का ही रहने वाला है। उसने फिल्म में अभिषेक के दोस्त का किरदार निभाया है। इस रोल के लिए 700 बच्चों ने ऑडिशन दिया था, जिसमें से दैविक को चुना गया। ये दैविक की दूसरी फिल्म है। इससे पहले वह 25 नाटकों में अलग-अलग किरदार निभा चुका है। भास्कर ने दैविक और उसके परिवार से बात कर जाना कि आखिर कैसी रही उसकी एक्टिंग की जर्नी और अभिषेक बच्चन के साथ काम करने का अनुभव… 4 साल की उम्र में पहली बार थिएटर किया
टीटी नगर में गर्वमेंट स्कीम के एक फ्लैट में रहने वाले दैविक के पिता शरद बाघेला प्राइवेट जॉब करते हैं। मां अर्चना गृहिणी हैं। घर में मम्मी-पापा और दैविक के अलावा उनकी छोटी बहन चार साल की राध्या है। दैविक के फिल्मों में पहुंचने के सफर के बारे में बात करते हुए पिता शरद बाघेला बताते हैं, पहले मैं शौकिया तौर पर थिएटर से जुड़ा हुआ था। साल 2011 में दैविक का जन्म हुआ, तब मैंने सोचा नहीं था कि यह भविष्य में क्या करेगा? मैं थिएटर करता था, शाम को कई बार परिवार को साथ लेकर नाटक देखने जाता। दैविक 4 साल का था, हम एक नाटक की रिहर्सल देखने पहुंचे। वहां डायरेक्टर ने कहा कि इसे एक रोल दे देते हैं, कोई डायलॉग नही होंगे बस कलाकार के साथ बैठना होगा। पहली बार जब दैविक मंच पर गया वह शांत और सामान्य था उसे मजा भी आया था। इसके बाद छोटे-मोटे रोल करने की शुरुआत हो गई। हम जब नाटक नहीं करते तो अक्सर थिएटर देखने जाते। मैं दैविक को बताता कि यदि हम इस सीन को करते तो कैसे करते? ऐसे ही धीरे-धीरे उसकी ट्रेनिंग होती रही। थिएटर करते हुए मैंने जो कुछ सीखा था उसे बताता गया। ​वरुण धवन के साथ फिल्म अटकी, फिर कालीधर मिली
कालीधर दैविक की पहली फिल्म नहीं है। इससे पहले 2020 में उसे एक फिल्म मिली थी। ये फिल्म वरुण धवन के साथ थी, एग्रीमेंट भी साइन हो गया था। इस बीच कोरोना आ गया और फिल्म की शूटिंग शुरू होने के एक दिन पहले लॉकडाउन लगने से सब अटक गया। शरद बताते हैं, करीब 8 साल की उम्र तक दैविक 25 से ज्यादा नाटक कर चुका था, फिर हमने ऑडिशन देने शुरू कर दिए। आजकल लगभग सभी ऑडिशन ऑनलाइन होते हैं। सोशल मीडिया से इसकी जानकारी मिल जाती है। बर्थडे के दिन हुआ सिलेक्शन
मैं कलाकार, कास्टिंग डायरेक्टर्स के कई ग्रुप्स में जुड़ा हूं। वहां से पता चलने के बाद ऑडिशन देते हैं। इसी तरह पता चला कि कालीधर फिल्म के लिए ऑडिशन हो रहे हैं। दैविक ने ऑडिशन दिया। दैविक बताता है कि 12 नवंबर को मेरा बर्थडे था। एक दिन पहले मैं स्कूल से वापस आया तो पापा ने कहा तैयार हो जाओ लुक टेस्ट के लिए मुंबई चलना है। मुझे फिल्म के लिए शॉर्ट लिस्ट कर लिया गया था। हम सभी मुंबई पहुंचे और उस दिन पहली बार मेरा बर्थडे मुंबई में मना। जूनियर बच्चन फुटबाल और क्रिकेट के शौकीन
दैविक ने बताया कि 15 दिन की एक्टिंग वर्कशॉप के बाद एक दिन स्क्रिप्ट रीडिंग के लिए मुझे जलसा (अमिताभ बच्चन का घर) के पीछे स्थित अभिषेक सर के ऑफिस जनक में ले जाया गया। वहां अभिषेक बच्चन सर और डायरेक्टर मधुमिता मैडम मौजूद थीं। उनके आफिस में अंदर जाते ही मैने देखा कई फुटबाल प्लेयर्स की जर्सी फ्रेम कर टांगी गई थी। सभी पर खिलाड़ियों के सिग्नेचर थे। मैंने पूछा तो उन्होंने बताया कि मुझे फुटबॉल का बहुत शौक है। मैंने उनसे कहा कि मुझे अमिताभ बच्चन सर से मिलना है, उन्होंने कहा अभी पांच मिनट पहले ही तो वे केबीसी की शूटिंग के लिए निकल गए हैं। इसके बाद मैंने अमिताभ सर को दूर से देखा, लेकिन उनसे मिलने का मौका नहीं मिल सका। इसके बाद हम लोगों की शूटिंग शुरू हो गई। अभिषेक सर ने बताई एक्टिंग की बारीकियां
अभिषेक सर के ऑफिस में हमने साथ में स्क्रिप्ट रीडिंग की, तब अभिषेक सर ने समझाया स्क्रिप्ट रीडिंग कैसे की जाती है, उसकी बारीकियां क्या होती हैं। मधुमिता मैडम और सर ने समझाया कि फिल्म की शूटिंग अलग होती है। थिएटर में लाउड बोलना होता है, जबकि फिल्म में नॉर्मल आवाज में, यदि धीरे बोलेंगे तब भी आवाज आएगी। फिल्म के लिए नेचुरल एक्टिंग कैसे करें इसके टिप्स भी उन्होंने दिए। भोपाल के आसपास हुई शूटिंग
कालीधर लापता फिल्म की 60 प्रतिशत से ज्यादा शूटिंग एमपी में हुई है, इसमें भी भोपाल और आसपास के शूट ज्यादा हैं। दैविक के पिता शरद बताते हैं, शूटिंग भोजपुर मंदिर से शुरू हुई और आसपास के गांवों में कई सीन फिल्माए गए। इसके अलावा सलामतपुर और ओरछा में हुई। इसके अलावा मुंबई के पालघर और फिल्म सिटी में भी कुछ सीन शूट हुए हैं। दैविक ने बताया कि भोपाल के आसपास होने के चलते लगा ही नहीं घर से दूर हूं, सब आसानी से होता चला गया। इस फिल्म की शूटिंग के लिए 60 दिन अभिषेक बच्चन के साथ रहने का मौका मिला। इस दौरान कई अच्छे अनुभव हुए। शूटिंग के दौरान जब कभी मैं उदास होता तो वो मुझे हंसाने की कोशिश करते थे। वे कभी मेरी कुर्सी हिलाने लगते तो कभी मुझे उठाकर दौड़ लगा देते। बहुत केयर करते थे अभिषेक
फिल्म के एक सीन में हमें तालाब में नहाना था। तब ठंड का समय था और तालाब का पानी बहुत ठंडा था। हमने सीन किया, अभिषेक सर ने ध्यान रखा कि मैं जल्द से जल्द पानी के बाहर आ जाऊं। जैसे ही डॉयरेक्टर ने कट बोला उन्होंने तुरंत मुझे बाहर निकाला और खुद टॉवेल से मेरा शरीर पोंछने लगे। वहीं पास में हेयर ड्रायर रखा था। उन्होंने ड्रायर चालू किया और मेरे बाल सुखाने लगे, वो ऐसा तब तक करते रहे जबतक कि मैं पूरी तरह से नहीं सूख गया। मुझे पापा ने ही आउट किया
दैविक ने बताया कि सेट पर फुर्सत के समय हम लोग क्रिकेट खेलते थे। अभिषेक बच्चन बॉलिंग करते थे और मैं बैटिंग करता था। एक बार ऐसे ही हम खेल रहे थे। अभिषेक सर बॉलिंग कर रहे थे, मैं बैटिंग कर रहा था और पापा पीछे खड़े होकर कीपिंग कर रहे थे। पापा बोले, मुझे भी बैटिंग करनी है, लेकिन मैं आउट ही नहीं हो रहा था। इस बीच अभिषेक सर ने एक बॉल की, मैंने शॉट लगाने की कोशिश की, लेकिन बैट से कट लगकर बॉल पीछे गई और पापा ने तुरंत कैच लपक लिया। यह देखकर टीम के लोग हंसने लगे कि पापा ने ही बेटे का कैच पकड़कर उसे आउट करा दिया।

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