‘असली दोषियों को बचा रही…, ‘धनकुबेर’ सौरभ शर्मा मामले में कांग्रेस का MP सरकार पर बड़ा हमला

by Carbonmedia
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Saurabh Sharma Case: बीते साल दिसंबर में उजागर हुई मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के सिपाही सौरभ शर्मा की काली कमाई की कहानी ने पूरे देश को चौंका दिया था. 52 किलो सोना, ढाई क्विंटल चांदी और करोड़ों रुपये कैश जैसी संपत्ति का खुलासा होने के बाद जिस प्रकार की कार्रवाई की अपेक्षा जनता और समाज को थी, वो आज तक पूरी नहीं हो पाई है. चार-चार शीर्ष जांच एजेंसियों की मौजूदगी के बावजूद पांच महीने बाद भी यह केस अधर में लटका हुआ है.


कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने 


कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह इस केस को जानबूझकर भटका रही है और असली दोषियों को बचा रही है. उनका कहना है, “इतनी बड़ी बरामदगी के बाद भी अगर कोई नतीजा नहीं निकलता, तो यह साफ है कि जांच एजेंसियां दबाव में काम कर रही हैं.”


वहीं बीजेपी प्रवक्ता अजय यादव ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा, “कांग्रेस के पास अगर कोई सबूत हैं, तो वे जांच एजेंसियों को सौंपें. विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रहा है.”


पूर्व पुलिस अधिकारी ने उठाए सवाल


पूर्व आईपीएस अधिकारी विजय वाते ने भी इस केस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जब मल्टी एजेंसी जांच होती है, तो अकसर जवाबदेही बंट जाती है.” उन्होंने कहा, “ऐसे मामलों में कई बार राजनीतिक दबाव भी जांच को प्रभावित करता है. यदि 5 महीने में कोई चार्जशीट नहीं आई तो सवाल उठना लाज़िमी है.”


सवाल जो अब भी जवाब नहीं मिला 


1. आखिर 52 किलो सोना और करोड़ों रुपये की नकदी का असली मालिक कौन है?


2. क्या सौरभ शर्मा वाकई इस पूरे रैकेट का केंद्र बिंदु है या सिर्फ एक मोहरा?
3. जिन डायरी और दस्तावेजों में बड़े नाम होने की बात कही गई थी, वे कहां हैं?


4. क्या यह मामला कानूनी दांव-पेच में उलझा कर कमजोर किया जा रहा है?


कोर्ट में है मामला, पर चार्जशीट अधूरी, कार्रवाई अधर में 


सौरभ शर्मा को लोकायुक्त के केस में जमानत मिल चुकी है, लेकिन अन्य एजेंसियों के केस में वह अभी जेल में है. चेतन गौड़ और शरद जायसवाल भी न्यायिक हिरासत में हैं. कहा जा रहा था कि केस से जुड़ी डायरी में कई बड़े अधिकारियों और नेताओं के नाम शामिल हैं, लेकिन अब तक कोई ‘बड़ी मछली’ पकड़ में नहीं आई.


जंगल में मिली लावारिस गाड़ी से सोना बरामद 


19 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त पुलिस ने भोपाल की अरेरा कॉलोनी में सिपाही सौरभ शर्मा के घर पर आय से अधिक संपत्ति के आरोप में छापा मारा था. उसी रात भोपाल के पास मंदोरी के जंगलों में एक लावारिस गाड़ी से 52 किलो सोना और करोड़ों की नकदी बरामद की गई. इसके बाद सौरभ शर्मा, उसके साथी चेतन गौड़ और शरद जायसवाल को गिरफ्तार किया गया. छापे में लगभग ढाई क्विंटल चांदी, कई जमीनों के दस्तावेज, बैंक पासबुक और संदिग्ध लेन-देन की जानकारी सामने आई थी.


इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच लोकायुक्त के अलावा ED (प्रवर्तन निदेशालय), आयकर विभाग और राज्य पुलिस कर रही है, लेकिन पांच महीने बीत जाने के बाद भी न तो किसी बड़े रसूखदार का नाम सामने आया, न ही एजेंसियां अदालत में इस मामले को ठोस तरीके से पेश कर पाई हैं.


लोकायुक्त, जिसने सबसे पहले छापा मारा था, अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं कर सका है. ED और आयकर विभाग ने कथित तौर पर फंड ट्रेल खंगालने की कोशिश की, लेकिन काली कमाई का असली स्रोत और सोने-चांदी के मालिकाना हक को साबित करने में नाकाम रहे हैं.


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