बस्ती जिला महिला अस्पताल से एक सनसनीखेज अल्ट्रासाउंड घोटाले का खुलासा हुआ है. एक फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टर ने न केवल अपनी जालसाजी से नियुक्ति हासिल की, बल्कि करीब 21 महीनों तक हजारों गर्भवती महिलाओं के जीवन और स्वास्थ्य से खिलवाड़ भी किया.
इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, अब कई वरिष्ठ अधिकारी भी संदेह के घेरे में हैं. यह चौंकाने वाला मामला डॉ. आशुतोष शर्मा नामक व्यक्ति से जुड़ा है. उन्होंने अल्ट्रासाउंड करने के लिए एक जाली डिग्री का इस्तेमाल किया और इसी के दम पर जिला महिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के पद पर नियुक्ति पा ली.
बताया गया कि डॉ. शर्मा ने अपनी तैनाती के दौरान लगभग 21 महीने तक सेवाएं दीं. इस लंबी अवधि में उन्होंने अनुमानित 20 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया. इन सभी अल्ट्रासाउंड रिपोर्टों की प्रामाणिकता और सटीकता पर अब गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है, जिससे हजारों परिवारों में चिंता फैल गई है. इस फर्जीवाड़े की जड़ डॉ. आशुतोष शर्मा की अल्ट्रासाउंड डिग्री में थी.
फर्जी संस्थान से हासिल की फर्जी डिग्रीजांच में पता चला कि उन्होंने जिस संस्थान से यह डिग्री हासिल की थी, वह पूरी तरह से अवैध और बिना मान्यता वाला है. यह दिल्ली का एक ऐसा संस्थान है, जो पीसीपीएनडीटी (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques) एक्ट के तहत पंजीकृत ही नहीं है.
इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य लिंग निर्धारण परीक्षणों को रोकना और अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीकों का दुरुपयोग रोकना है. महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के आधिकारिक पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि इस संस्थान का कोई अधिकृत पंजीकरण नहीं है. यह गंभीर उल्लंघन है, क्योंकि पीसीपीएनडीटी एक्ट का सीधा संबंध गर्भ में पल रहे बच्चे और गर्भवती महिला के स्वास्थ्य से होता है.
जांच में अवैध डिग्री की बात हुई प्रमाणितडॉ. आशुतोष शर्मा के फर्जीवाड़े की भनक लगने पर कुछ लोगों ने स्वास्थ्य विभाग से शिकायत की. महानिदेशक पवन कुमार अरुण ने व्यक्तिगत रूप से इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए. उनकी निगरानी में हुई गहन जांच में डॉ. शर्मा की डिग्री का अवैध होना प्रमाणित हो गया.
आरोपी डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन किया रद्दजांच रिपोर्ट सामने आने के बाद, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा ने तत्काल प्रभाव से सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) बस्ती को डॉ. आशुतोष शर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए. सीएमओ राजीव निगम ने भी बिना किसी देरी के कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी (डीएम) से डॉ. आशुतोष का पंजीकरण निरस्त करने की मंजूरी मांगी.
जिलाधिकारी के मार्गदर्शन में त्वरित फैसला लिया गया और डॉ. आशुतोष शर्मा का पंजीकरण रद्द कर दिया गया. इसके साथ ही उन्हें तत्काल प्रभाव से जिला महिला अस्पताल के अल्ट्रासाउंड के प्रभार से हटा दिया गया.
इस घोटाले के बाद, अब अल्ट्रासाउंड सेवाओं के लिए एक प्रमाणित और योग्य रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति कर दी गई है. डॉ. विमल द्विवेदी को इस कार्यभार के लिए नियुक्त किया गया है. डॉ. विमल ने लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान से अल्ट्रासाउंड में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जिससे यह सुनिश्चित हो रहा है कि अस्पताल में आने वाले मरीजों को अब सही और विश्वसनीय अल्ट्रासाउंड सेवाएं मिल रही है.
एडी हेल्थ डॉक्टर रामानंद से जब इस पूरे प्रकरण को लेकर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि शासन स्तर से ये कार्यवाही की गई है, डॉक्टर आशुतोष शर्मा की रेडियोलॉजिस्ट की डिग्री गलत पाए जाने पर महानिदेशक प्रशिक्षण ने तत्काल उन्हें पद से हटा दिया है, वही अगर किसी महिला की रिपोर्ट में गड़बड़ी की कोई शिकायत आती है तो उसका संज्ञान लेकर विधिक कार्यवाही की जाएगी. वही इन आरोपों पर फिलहाल डॉक्टर आशुतोष शर्मा का कोई पक्ष नहीं मिला है.
अस्पताल असली और डॉक्टर नकली, 21 महीने तक हजारों महिलाओं के अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट पर सवाल?
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