Bombay High Court Verdict: बंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने साल 2015 में एक नाबालिग से छेड़छाड़ के 35 वर्षीय आरोपी को बरी किया. आरोप था कि शख्स ने एक नाबालिग को राह चलते ‘आई लव यू’ कहा था. हाई कोर्ट ने टिप्पणी की ‘आई लव यू’ कहना केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति है, न कि ‘यौन इच्छा’ प्रकट करना.
जस्टिस उर्मिला जोशी-फाल्के की बेंच ने सोमवार (30 जून) को अपने आदेश में कहा कि किसी भी अभद्रता में अनुचित स्पर्श, जबरन कपड़े उतारना, अभद्र इशारे या महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से की गई टिप्पणी शामिल होती है.
सेशन कोर्ट ने सुनाई थी तीन साल की सजाशिकायत के अनुसार, साल 2015 में आरोपी नागपुर में 17 साल की लड़की के पास गया था. उसका हाथ पकड़ कर उसे ‘आई लव यू’ कहा था. नागपुर की एक सेशन कोर्ट ने 2017 में आरोपी को POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराया था और तीन साल के कारावास की सजा सुनाई थी.
हाई कोर्ट ने व्यक्ति को दोषी न पाते हुए कहा कि ऐसी कोई परिस्थिति नहीं पाई गई जिससे यह संकेत मिले कि उसका वास्तविक इरादा पीड़िता के साथ यौन शोषण करना था.
‘आई लव यू’ से साबित नहीं होता यौन शोषण का इरादाहाई कोर्ट ने कहा, ‘‘आई लव यू जैसे शब्द अपने आप में यौन इच्छा प्रकट करने के बराबर नहीं हैं. ‘आई लव यू’ कहने के पीछे अगर यौन उद्देश्य था, तो उसे साबित करने के लिए कुछ ठोस और अतिरिक्त संकेत होने चाहिए, केवल इतना कहना पर्याप्त नहीं है.”
आई लव यू सुनने के बाद भाग गई थी लड़कीपीड़िता के वकील ने कोर्ट में बताया कि जब लड़की स्कूल से घर लौट रही थी, तो आरोपी ने उसका हाथ पकड़ लिया. उसका नाम पूछा और ‘आई लव यू’ कह दिया. लड़की वहां से भाग निकलने में सफल रही और घर जाकर अपने पिता को घटना के इसके बारे में बताया, जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई.
‘आई लव यू’ केवल भावनाएं व्यक्त करने का तरीकाहाई कोर्ट ने कहा कि यह मामला छेड़छाड़ या यौन उत्पीड़न के दायरे में नहीं आता. अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि वह किसी से प्रेम करता है या अपनी भावनाएं व्यक्त करता है, तो केवल इतना भर कह देने से इसे किसी प्रकार के यौन इरादे के रूप में नहीं देखा जा सकता.’’
‘आई लव यू’ कहने से यौन उत्पीड़न का संकेत नहीं मिलता, नाबालिग से छेड़छाड़ के आरोपी को कोर्ट ने किया बरी
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