आगरा के रावतपाड़ा स्थित प्राचीन बाबा श्री मनकामेश्वर नाथ महादेव मंदिर भक्तों की आस्था का प्रतीक है. प्राचीन श्री मनकामेश्वर नाथ महादेव मंदिर में अब एक दिव्य और भव्य रजत द्वार स्थापित हो गया है. यह द्वार न केवल आस्था का उदाहरण है बल्कि श्रद्धालुओं की भक्ति, सहभागिता और संकल्प की सामूहिक अभिव्यक्ति भी है.
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आगरा के इतिहास में पहली बार किसी भी मंदिर में भरपूर श्रद्धा और भक्ति से निर्मित चांदी (रजत) के द्वार का विधिवत पूजन और भव्य लोकार्पण किया गया है. सर्वप्रथम गणपति पूजन एवं आरती, शटर पर स्वास्तिक पूजन इसके बाद द्वार पर सिंह पूजन एवं लोकार्पण हुआ. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु गादी जी पूजन संपन्न के पश्चात प्रसादी का आयोजन किया गया.
भक्तों ने लिया छप्पन भोग का लाभइस अवसर पर बाबा श्री मनःकामेश्वर नाथ के भव्य फूल बंगला और छप्पन भोग दर्शन का लाभ भी भक्तों ने लिया. मठ प्रशासक हरिहर पुरी ने बताया कि इस ऐतिहासिक कार्य ने मंदिर की गरिमा और श्रद्धालुओं की भक्ति को एक नई ऊँचाई दी है.
द्वार का निर्माण कार्य 17 जून 2025 को प्रारंभ हुआ और 20 दिनों के प्रयास के बाद आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा (10 जुलाई 2025, संवत 2082) को यह पूर्ण हुआ. चांदी का द्वार लगभग पौने 13 फीट लंबा और 12 फीट चौड़ा है. कारीगरों की कला और भक्तों की भावना का संगम इस चांदी के द्वार में नजर आ रहा है.
मंदिर के महंत ने क्या बतायाप्राचीन श्री मनकामेश्वर नाथ महादेव मंदिर के महंत योगेश पुरी ने बताया कि यह द्वार बाबा की कृपा और भक्तों की निष्ठा का सजीव उदाहरण है , हर एक चाँदी का टुकड़ा (जो इसमें अर्पित हुआ है) श्रद्धा का प्रतीक है , हम चाहते थे कि बाबा श्री मनकामेश्वर के दरबार में आने वाला हर भक्त दिव्यता और आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव करे और यह रजत द्वार उसी भावना को प्रतिबिंबित करता है
शिव के पंच चिन्हों से अलंकृत द्वार के दोनों पल्लों पर अत्यंत सुंदर नक्काशी की गई है जिनमें फूल-पत्तियों के मध्य भगवान शिव के पंच चिन्ह-ओम, दो सर्प, सिंह मुख, त्रिशूल और डमरू अत्यंत कलात्मक रूप से उकेरे गए हैं. द्वार में कीलें भी चांदी की ही लगी हैं. यह द्वार अब श्रद्धालुओं के लिए एक नई आध्यात्मिक अनुभूति का प्रतीक बन चुका है.
आगरा के श्री मनकामेश्वर नाथ महादेव मंदिर में लगा चांदी का द्वार, महंत योगेश पुरी ने की पूजा
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