आजादी रेवड़ियों के बदले नहीं, बेटों को फासीं चढ़ाकर ली:सीएम मान बोले- यह आजादी के सर्टिफकेट देने लग पड़े, इनका मरा है कोई

by Carbonmedia
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आजादी हमें रेवड़ियों के बदले में नहीं मिली है। यह आज़ादी हमें किसी ने भीख में नहीं दी। यह आज़ादी हमने हीरे जैसे गबरू बेटों को फांसी पर चढ़ाकर हासिल की है। यह आज हमें देशभक्ति और आज़ादी के सर्टिफिकेट देने लग पड़े। क्या इनका कोई मरा है? भगत सिंह को हमेशा इस बात की चिंता रहती थी कि आज़ादी तो मिल जाएगी, लेकिन आज़ादी के बाद देश किन हाथों में जाएगा—यह उनकी सबसे बड़ी चिंता थी, और वह बिल्कुल सही थी। अब वहीं खड़े है। कोई पार्टी 60 साल तक राज कर गई, किसी का शासन 15 साल चल गया। लेकिन हम आज भी वहीं खड़े हैं। अमेरिका वाले मंगल ग्रह पर प्लॉट काट रहे हैं, और हमारे यहां सीवरेज के ढक्कन तक पूरे नहीं हैं। यह बात पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज खटकड़कला में कहीं। इस दौरान शहीद भगत सिंह हैरिटेज कांप्लेक्स का नींव पत्थर रखा। उन्होंने कहा कि यह कांप्लेक्स 51 करोड 70 लाख से बनेगा। नौ महीने में पूरा हो जाएगा। 700 कुर्सियों का ऑडिटोरियम स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा कई सुविधाएं इसमें रहेगी। इस मौके उन्होंने शहीद भगत सिंह के परिवारिक मेंबरों को सम्मानित किया। लाल किले के कबूतरों को याद हो गया भाषण सीएम ने कहा कि पंद्रह अगस्त वाले दिन प्रधानमंत्री कोई भी रहे, जब से होश संभाली है तो उनका भाषण में आतंक पर चिंता प्रकट की, गरीबी बहुत ज्यादा चिंता प्रकट, महंगाई बहुत ही चिंता प्रकट की । मेरे देश के वारिसों अब तो लाल किले के कबूतरों को भी भाषण याद हो गया होगा, हमारी किस्मत तो नहीं बदल सकते, कम से कम अपना भाषण तो बदल लो। किताब पढ़ लेना, पहले से आखिर पेज तक कोई अलग चीज आई तो तो मुझे बता देना। अफसर लिख देते है, वह पढ़ देते है। आजादी इसलिए लेकर दी कि नशे बेचो असली आज़ादी तो अभी तक आम लोगों तक पहुंची ही नहीं है। वह आज़ादी तब मिलेगी जब कचहरियों और थानों में बिना रिश्वत और सिफारिश के काम होने लगेंगे, सरकारी स्कूलों से पढ़कर बच्चे अफसर बनने लगेंगे, और आम आदमी को न्याय और सम्मान आसानी से मिलेगा। बस, उसी आज़ादी की ओर हम बढ़ रहे हैं। भगत सिंह की आत्मा आज तड़पती होगी—क्या इसी दिन के लिए उन्होंने जान दी थी? क्या इसलिए आज़ादी दी थी कि लोग नशा बेचें, घोटाले करो। उन्होंने आज़ादी इसलिए दी थी ताकि हम अपने अधिकार और कर्तव्यों को समझें। वह बहुत बड़े इंसान थे। हम तो उनके पैरों की धूल के बराबर भी नहीं हैं। उन्होंने अपना काम कर दिया है—अब हमें अपना फ़र्ज़ निभाना है। उन्होंने छिपकर आज़ादी लाकर दी, और आज की आज़ादी के लिए हमें खुलकर वोट देने जाना है। मैं नहीं कहता कि मुझे वोट दो, मैं कहता हूं कि सही लोगों को चुनो—फिर कहीं जाकर उनकी आत्मा को शांति मिलेगी।

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