आपातकाल की 50वीं बरसी पर दिल्ली में लगी प्रदर्शनी, सीएम रेखा गुप्ता बोलीं- ‘युवाओं को ये बताना जरूरी है कि…’

by Carbonmedia
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Emergency Anniversary: राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र और दिल्ली सरकार ने देश के इतिहास में काला दिन माने जाने वाले 25 जून 1975 को लागू आपातकाल की 50वीं बरसी पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया. BJP इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मना रही है.
वहीं दिल्ली सरकार की ओर से राजधानी के कनॉट प्लेस स्थित सेंट्रल पार्क में एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें आपातकाल के दौरान हुए दमन अत्याचार और राजनीतिक गिरफ्तारी से जुड़े दस्तावेज और तथ्य आम जनता के सामने रखे गए.
हजारों लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिए – रेखा गुप्ता 
इस प्रदर्शनी का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया. इस मौके पर दिल्ली सरकार के मंत्री सांसद और बीजेपी कार्यकर्ता भी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि 25 जून 1975 को जब देश में आपातकाल लगाया गया था, तब लोकतंत्र को कुचल दिया गया था. सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जेलों में ठूंस दिया.
रेखा गुप्ता ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी उस दौर को नहीं जानती इसलिए यह जरूरी है कि उन्हें बताया जाए कि उस समय देश में क्या हुआ था. इस प्रदर्शनी के जरिए हम युवा पीढ़ी को दिखा रहे हैं कि कैसे इंदिरा गांधी सरकार ने हजारों लोगों को जेल में डाला, कैसे पत्रकारों की आवाज दबाई गई और आम लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए. यह इतिहास का वो काला अध्याय है जिसे भूलना नहीं चाहिए.
1975 में देश के संविधान को कुचला गया था – मनोहर लाल खट्टर
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ बताते हुए कहा कि 1975 में देश के संविधान को कुचला गया था. उन्होंने कहा आपातकाल के दौर को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता उसे केवल महसूस किया जा सकता है. इसलिए हम दस्तावेजों के माध्यम से युवा पीढ़ी को बताने का प्रयास कर रहे हैं कि उस समय देश में क्या हुआ था.
प्रदर्शनी में उन नेताओं के संघर्ष को भी दिखाया गया है, जिन्होंने आपातकाल के विरोध में आवाज उठाई थी. इनमें अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जय प्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई और अन्य नेता शामिल हैं.
एबीपी न्यूज ने सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने वाले जय भारत आनंद से भी बातचीत की. उन्होंने बताया कि हमने सत्याग्रह में हिस्सा लिया था और पुलिस ने मेरे हाथों को ऊंट से कुचलवा दिया जिससे मुझे अपना हाथ गंवाना पड़ा. पर मुझे गर्व है कि मैंने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई.
बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की थी जो कई महीने तक चला. इस दौरान विपक्ष के कई बड़े नेताओं को जेल में डाला गया, प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई और नागरिक स्वतंत्रता छीन ली गई. यह आजाद भारत का पहला और अब तक का सबसे लंबा आपातकाल रहा है.

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