सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (29 जुलाई, 2025) को तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी से जुड़े मुकदमों की सुनवाई में देरी करने के प्रयास को लेकर तमिलनाडु सरकार पर नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार नौकरी के बदले नकदी घोटाले में 2,000 से अधिक लोगों को आरोपी बनाकर सेंथिल बालाजी से जुड़े मुकदमों की सुनवाई में देरी करने का प्रयास कर रही है.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच मामले पर बुधवार को सुनवाई करेगी. बेंच ने कल इस प्रयास को न्यायिक प्रणाली के साथ पूर्ण धोखाधड़ी बताया था. कोर्ट ने बालाजी से जुड़े सभी लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई बुधवार के लिए निर्धारित कर दी.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘हम जानना चाहेंगे कि मंत्री के अलावा बिचौलिये कौन थे? मंत्री की सिफारिशों पर काम करने वाले अधिकारी कौन थे? चयन समिति के सदस्य कौन थे? नियुक्ति देने वाले अधिकारी कौन थे?’ बेंच ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि मामलों में सुनवाई बालाजी के जीवनकाल में पूरी न हो पाए.
कोर्ट ने कहा कि गरीब लोग, जिन्हें पूर्व मंत्री या उनके गुर्गों ने नौकरी की खातिर पैसे देने के लिए मजबूर किया था, उन्हें रिश्वत देने वालों के रूप में फंसाया जा रहा है और घोटाले से जुड़े मामलों में आरोपी बनाया जा रहा है.
बेंच ने राज्य सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और अमित आनंद तिवारी से कहा, ‘आप (राज्य) उन पर मुकदमा चलाने के लिए अधिक उत्सुक हैं, ताकि मंत्री के जीवनकाल में मामलों की सुनवाई पूरी न हो पाए. यह आपकी कार्यप्रणाली है. यह व्यवस्था के साथ पूर्ण धोखाधड़ी है.’
अभिषेक मुन सिंघवी अमित आंद और तिवारी ने दावा किया कि याचिकाकर्ता वाई बालाजी घोटाले के पीड़ितों की ओर से हाईकोर्ट के बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख करके फोरम शॉपिंग का रास्ता अपना रहे हैं. फोरम शॉपिंग का मतलब वादियों की ओर से अपने मामलों की सुनवाई के लिए जानबूझकर उस अदालत या क्षेत्राधिकार को चुनने से है, जिनके बारे में उनका मानना है कि उन्हें अधिक अनुकूल फैसला हासिल होने की संभावना है.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने तमिलनाडु सरकार पर पूर्व मंत्री के साथ मिलीभगत करने और मुकदमे की सुनवाई लटकाने का प्रयास करने का आरोप लगाया. सुप्रीम कोर्ट वाई बालाजी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट के 28 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने कथित घोटाले से जुड़े मामलों में आरोपपत्रों को एक साथ जोड़े जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
अप्रैल में एक अधीनस्थ अदालत के न्यायाधीश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट के मुताबिक, नौकरी के बदले नकदी घोटाले में तमिलनाडु के पूर्व मंत्री से जुड़े मामलों में लगभग 2,300 आरोपी हैं. वी सेंथिल बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 27 अप्रैल को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाले राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल को बालाजी से कहा था कि वह पद और आजादी के बीच में से किसी एक को चुनें. कोर्ट ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर वह मंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते हैं, तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी.
‘आप चाहते हैं सेंथिल बालाजी के पूरे जीवनकाल में सुनवाई पूरी न हो सके’, तमिलनाडु सरकार पर क्यों भड़का सुप्रीम कोर्ट?’
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