आयंबिल तपस्या के बाद जतिन जैन की मेहंदी रस्म:समालखा में कल सुबह निकलेगी शोभायात्रा, उपेंद्र मुनि कराएंगे पारणा

by Carbonmedia
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पानीपत जिले के समालखा की नई अनाज मंडी स्थित स्थानक में जतिन जैन ने 72 दिन की आयंबिल तपस्या पूरी की। इस अवसर पर सोमवार को मेहंदी रस्म का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मंगलवार सुबह 7:15 बजे पुरानी जैन स्थानक से जतिन जैन की शोभायात्रा निकलेगी। यह यात्रा बैंड-बाजे के साथ पुरानी गुड़ मंडी से गांधी नगर होते हुए नई अनाज मंडी स्थित नई जैन स्थानक तक जाएगी। जैन धर्म में आयंबिल विशेष तपस्या वहां उपेंद्र मुनि महाराज पारणा करवाएंगे और पारणे का महोत्सव मनाया जाएगा। उपेंद्र मुनि महाराज ने आयंबिल तपस्या के बारे में जानकारी दी। जैन धर्म में आयंबिल एक विशेष तपस्या है। इसमें साधक दिन में एक बार बिना नमक और मसालों का उबला हुआ भोजन करता है। यह तपस्या आयंबिल ओली के दौरान विशेष रूप से की जाती है। पांच महाव्रतों का विशेष महत्व मेहंदी रस्म जैन धर्म की एक पारंपरिक रीति है। यह विवाह या अन्य शुभ अवसरों पर की जाती है। इसमें तपस्वी के हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाई जाती है। जैन धर्म में पांच महाव्रतों का विशेष महत्व है। ये हैं – अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। ये व्रत आध्यात्मिक विकास और मोक्ष प्राप्ति में सहायक हैं।

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