लुधियाना वेस्ट में मिली हार के बाद कांग्रेस उम्मीदवार भारतभूषण आशू ने गुटबाजी को लेकर पार्टी हाईकमान से सवाल पूछे हैं। सवाल पूछा कि मतदाता पार्टी से दूर क्यों हो गए? अभियान को बाधित करने के लिए प्रॉक्सी का इस्तेमाल क्यों किया गया? कुछ लोगों ने चुनाव को व्यक्तिगत हिसाब-किताब का मंच क्यों बनाया? कांग्रेस प्रदेश कार्यकारी पद से इस्तीफा देने के बाद आशू ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में हमें सिखाया जाता है कि जीत और हार दोनों को समान रूप से स्वीकार करना चाहिए। अगर उनका इस्तीफा कांग्रेस पार्टी को सोचने, फिर से संगठित होने और नई दिशा देने में मदद कर सकता है, तो इसे कभी भी वापस नहीं लिया जाना चाहिए। इस्तीफा हाईकमान ने स्वीकार कर लिया है। इस्तीफा देना पार्टी के प्रति मेरी नैतिक जिम्मेदारी का कार्य है, न कि अपराध स्वीकार करना। लुधियाना पश्चिम चुनाव में हार निश्चित रूप से निराशाजनक थी, लेकिन इसे कुछ व्यक्तियों की हरकतों तक सीमित रखना न केवल राजनीतिक रूप से गलत है, बल्कि पार्टी के आंतरिक ढांचे के लिए भी हानिकारक है। आशू ने माना कि चुनाव में समन्वय की कमी थी और परिस्थितियों के बावजूद वह उस अंतर को पाट नहीं सके। उन्होंने कहा कि पंजाब को एक ऐसी कांग्रेस की जरूरत है जो एकजुट हो, दिशा में स्पष्ट हो और नीतियों में मजबूत हो। आशू और बैंस के बीच मनमुटाव: आशू और कांग्रेस नेता सिमरजीत बैंस के बीच मनमुटाव पिछले लोकसभा व नगर निगम चुनाव से चल रहा है। कोर्ट के आदेश के बाद बाहर आने पर आशू ने बिना नाम लिए कांग्रेस नेता सिमरजीत बैंस को लेकर भी टिप्पणी की थी। वेस्ट में हार के बाद गुटबाजी की बात सामने आई जिसके बाद बैंस ने कहा कि आशू उनसे मदद मांगते तो उन्हें 5 हजार वोटों से जिता सकते थे। इस पर आशू ने कहा था कि बैंस खुद ही चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में वे क्या उनकी मदद करते। कांग्रेस नेता कमलजीत सिंह कड़वल ने पूर्व विधायक बैंस पर भी हमला बोला। कड़वल ने आरोप लगाया कि बैंस जानबूझकर लुधियाना में कांग्रेस नेता आशू को कमजोर करना चाहते हैं, ताकि वह खुद शहर की राजनीति पर पूरा नियंत्रण हासिल कर सकें।
आशू का सवाल : वोटर कांग्रेस से दूर क्यों हो गए?
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