इटली में एस्प्रेसो कॉफी सिर्फ एक ड्रिंक नहीं, बल्कि एक डेली रिचुअल और कल्चर का अहम हिस्सा है. वहां इसके प्राइस बढ़ने से लोग पैनिक कर रहे हैं. दरअसल, जो कॉफी कभी बहुत अफॉर्डेबल हुआ करती थी, अब वह धीरे-धीरे महंगी होती जा रही है और इससे इटैलियंस को बड़ा झटका लग रहा है.
क्यों बढ़ रहे हैं एक्सप्रेसो के प्राइस?
एक्सप्रेसो की बढ़ती कीमतों के पीछे कई ग्लोबल और लोकल फैक्टर्स हैं.
कच्चे कॉफी बीन्स का महंगा होना: ग्लोबल कॉफी बीन्स के प्राइस रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गए हैं. खासकर अरेबिका और रोबस्टा जैसी वैरायटीज के दाम काफी बढ़े हैं. दरअसल, ब्राजील और वियतनाम जैसे बड़े कॉफी उत्पादक देशों में क्लाइमेट चेंज के कारण सूखा, बाढ़ और अनप्रेडिक्टेबल मौसम ने कॉफी प्रोडक्शन को बुरी तरह से प्रभावित किया है. इससे सप्लाई कम हो गई है और डिमांड बढ़ गई है, जिससे कीमतें आसमान छू रही हैं.
इंफ्लेशन और ऑपरेशनल कॉस्ट्स: इटली में ओवरऑल इंफ्लेशन बढ़ी है, जिससे डेली यूटिलिटी बिल्स और ग्रॉसरी के दाम भी बढ़े हैं. कॉफी शॉप्स और बार्स को एनर्जी कॉस्ट्स और दूसरे ऑपरेशनल एक्सपेंसेस में भी बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है, जैसे लेबर कॉस्ट. ये सभी फैक्टर्स एस्प्रेसो की फाइनल कीमत को बढ़ा रहे हैं.
आइकॉनिक एक यूरो ट्रेडिशन का खत्म होना: इटली में कई साल से एक ट्रेडिशन रहा है कि एस्प्रेसो की कीमत करीब 1 यूरो होती थी, लेकिन अब कई कैफे में यह कीमत 1.10 यूरो या उससे भी ज्यादा हो गई है, और एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह जल्द ही 1.50 या 2 यूरो तक पहुंच सकती है. कंज्यूमर ग्रुप्स का कहना है कि 2021 से एस्प्रेसो की कीमतों में करीब 15% की बढ़ोतरी हुई है.
इटैलियंस पर क्या पड़ रहा असर?
एस्प्रेसो की बढ़ती कीमतें इटैलियन कल्चर और डेली लाइफ को इफेक्ट कर रही हैं.
डेली रिचुअल का लग्जरी बनना: कई इटैलियंस के लिए सुबह का एस्प्रेसो एक डेली रिचुअल है. अब उन्हें डर है कि यह डेली हैबिट एक लग्जरी बन जाएगी, जो हर कोई अफोर्ड नहीं कर पाएगा.
कंजम्प्शन में बदलाव: कुछ लोग अब घर पर कॉफी पीना प्रेफर कर सकते हैं या एस्प्रेसो की अपनी आदत को ही छोड़ सकते हैं. यह कैफे और बार्स के बिजनेस के लिए एक चैलेंज है.
नाराजगी और प्रोटेस्ट: इटैलियन कंज्यूमर राइट्स ग्रुप्स को कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर कई कंप्लेन्ट्स मिल रही हैं. लोगों का मानना है कि कॉफी एक लग्जरी नहीं, बल्कि एक राइट है.
यह सिचुएशन दिखाती है कि कैसे ग्लोबल इकोनॉमिक फैक्टर्स और क्लाइमेट चेंज जैसी चीजें एक देश की कल्चरल आइडेंटिटी और उसके लोगों की डेली लाइफ को सीधे तौर पर इफेक्ट कर सकती हैं. इटैलियंस अब यह देखने के लिए इंतजार कर रहे हैं कि उनकी प्यारी एस्प्रेसो के लिए उन्हें कितना प्राइस चुकाना पड़ेगा.
ये भी पढ़ें: सेहत के लिए कितना खतरनाक है डिब्बा बंद खाना, क्यों है खतरे की घंटी?
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.