गर्मी के माैसम में उमस बेहाल कर देती है. पसीने से तर-बतर होना सामान्य बात है. लेकिन क्या इस माैसम में भी आपको पसीना नहीं आता. ऐसे में ये हेल्थ प्राॅब्लम का संकेत हो सकता है. इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. आखिर ऐसा क्याें होता है? और ये स्थिति शरीर के लिए किस कदर खतरनाक हो सकती है? आइए इस बारे में जानते हैं…
यह कंडीशन कितनी खतरनाक?
पसीना ह्यूमन बाॅडी के लिए बेहद जरूरी होता है. पसीने के जरिए न सिर्फ शरीर की गंदगी बाहर निकलती है, बल्कि टेम्प्रेचर भी काफी हद तक कंट्रोल में रहता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो पसीना न आने की स्थिति काफी खतरनाक हो सकती है. इस स्थिति को एनहाइड्रोसिस कहा जाता है. पसीना नहीं आने से शरीर का टेम्प्रेचर कंट्रोल नहीं हो पाता. इसके चलते शरीर के कई ऑर्गन को नुकसान पहुंच सकता है.
एनहाइड्रोसिस के कारण
नर्व से जुड़ी दिक्कत: शरीर में पसीना लाने का काम ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम करता है. अगर इस नर्व सिस्टम में कोई गड़बड़ी होती है, तो पसीना आना रुक सकता है. यह नर्व सिस्टम से जुड़ी बीमारियों जैसे डायबिटिक न्यूरोपैथी, पार्किंसन डिजीज या मल्टीपल स्क्लेरोसिस के कारण हो सकता है.
डिहाइड्रेशन: जब शरीर में पानी की कमी बहुत ज्यादा होने लगती है, तो पसीना आना कम हो जाता है या बिल्कुल पसीना नहीं आता. पसीना आमतौर पर पानी और नमक से बनता है, इसलिए शरीर में पानी की मात्रा कम होने पर ग्रंथियां एक्टिव नहीं हो पातीं हैं.
स्किन प्राॅब्लम: स्किन की बाहरी परत डैमेज हो जाती है या किसी इंफेक्शन के कारण बंद हो जाती है तो पसीने की ग्रंथियां ठीक तरह से काम नहीं कर पाती हैं. जैसे स्किन पर जलन, झुलसना, स्किन रैश या गंभीर स्किन से जुड़ी बीमारियां जैसे स्क्लेरोडर्मा या इच्थियोसिस पसीने को निकलने से रोक सकते हैं.
दवा का असर: कुछ दवाइयां जैसे कि एंटीहिस्टामिन, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर की दवाइयां या मूड स्टेबलाइजर का इस्तेमाल करने से शरीर के पसीना निकालने की क्षमता प्रभावित हो सकती है.
जेनेटिक: कुछ जेनेटिक स्थितियों जैसे हाइपोहाइड्रोटिक एक्टोडर्मल डिसप्लेसिया में पसीने की ग्रंथियां जन्म के समय से ही कम या न के बराबर होती है, जिससे गर्मी में भी पसीना न आने की समस्या होती है.
एज फैक्टर: उम्र बढ़ने के साथ बुजुर्गों में पसीना कम आना या न आना एक सामान्य बात हो सकती है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ स्किन की पसीने की ग्रंथियां इनएक्टिव हो जाती हैं.
पसीना न आने से दिक्कत
नर्वस सिस्टम प्रभावित हो सकता है
हीट स्ट्रोक का खतरा
हार्ट अटैक का रिस्क
बेहोशी और चक्कर आने की प्राॅब्लम
थकान महसूस होना
शरीर का गर्म होना
सिरदर्द, मतली या उल्टी होना
शरीर के कई ऑर्गन को नुकसान पहुंचने का रिस्क
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.