इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ पर बोले CM विष्णु देव साय, ‘उस काले दिन को हमारी भावी पीढ़ी भी…’

by Carbonmedia
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Vishnu Deo Sai On 50th Anniversary of Emergency: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय बुधवार (25 जून) को राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित संविधान हत्या दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान अपने संबोधन में सीएम साय ने कहा कि यह बेहद जरूरी है कि लोकतंत्र की हत्या के उस काले दिन को हमारी भावी पीढ़ी भी जाने, समझे और उससे सीख ले. आपातकाल के दौर को याद करते हुए भावुक हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह कालखंड मेरे जीवन की गहराई से जुड़ा है. यह मेरे लिए मात्र एक घटना नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत पीड़ा है.
मुख्यमंत्री ने बताया, ”मेरे बड़े पिताजी स्वर्गीय नरहरि प्रसाद साय आपातकाल के दौरान 19 माह तक जेल में रहे. उस समय लोकतंत्र सेनानियों के घरों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी. कई बार घर में चूल्हा तक नहीं जलता था. ऐसे अनेक परिवारों को मैंने स्वयं देखा है. निरंकुश सत्ता ने उस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल दिया था, नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे. वास्तव में वह लोकतंत्र का काला दिन था, जिसका दंश हमारे परिवार ने झेला है और जिसे मैंने खुद जिया है.” 
लोकतंत्र सेनानी परिवारों के सदस्यों से मुलाकात
छत्तीसगढ़ के सीएम ने कार्यक्रम के दौरान लोकतंत्र सेनानी परिवारों के सदस्यों से भेंट कर उन्हें सम्मानित किया और शॉल, श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह भेंट किए. मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार लोकतंत्र सेनानी परिवारों को सम्मान देने का कार्य कर रही है. इन परिवारों को प्रतिमाह 10 हजार से 25 हजार रुपए तक की सम्मान राशि दी जा रही है. यह उनके संघर्ष और बलिदान को नमन करने का एक विनम्र प्रयास है.
कार्यक्रम में उपस्थित छात्र-छात्राओं और युवाओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ”संविधान की रक्षा हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है. लोकतंत्र को जीवित रखने और सशक्त करने के लिए जन-जागरूकता और सक्रिय भागीदारी अनिवार्य है.”
लोकतंत्र पर आपातकाल एक कलंक- रमन सिंह
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने संबोधन में कहा, ”भारत के संविधान और लोकतंत्र पर आपातकाल एक ऐसा कलंक है, जिसे इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज किया गया है. आपातकाल थोपकर न केवल संविधान को निष्क्रिय कर दिया गया, बल्कि मौलिक अधिकारों को समाप्त कर लोकतंत्र की आत्मा को कुचल दिया गया. उस समय देश को एक खुली जेल में बदल दिया गया था, जिसमें भय और आतंक का वातावरण था. एक लाख से अधिक लोगों को बिना न्यायिक प्रक्रिया के जेलों में बंद कर दिया गया और उन्हें यातनाएं दी गईं. यह केवल राजनीतिक दमन का दौर नहीं था, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक चेतना को समाप्त करने का सुनियोजित प्रयास था.”
‘आपातकाल के विषय में युवा शोध करें और पढ़ें’
डॉ. सिंह ने युवाओं से अपील करते हुए कहा, ”आपातकाल के विषय में शोध करें, पढ़ें और समझें कि लोकतंत्र की रक्षा हेतु कितने लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी. भविष्य में लोकतंत्र को सुरक्षित बनाए रखने के लिए हमें सदैव जागरूक और सजग रहना होगा. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि 25 जून 1975 भारतीय लोकतंत्र का सबसे शर्मनाक और काला दिन था. इस दिन संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को जिस तरह से कुचला गया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में नहीं मिलता. 
CM और विधानसभा अध्यक्ष ने प्रदर्शनी का किया अवलोकन
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आधारित विशेष प्रदर्शनी का अवलोकन किया. इस प्रदर्शनी में आपातकाल के दौरान की दमनकारी नीतियों, मानवाधिकारों के उल्लंघन और लोकतंत्र के हनन को चित्रों एवं दस्तावेजों के माध्यम से दर्शाया गया.
मुख्यमंत्री साय ने कहा, ”आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय है, जिसे विस्मृत नहीं किया जाना चाहिए. ऐसी प्रदर्शनी नई पीढ़ी को लोकतंत्र और संविधान के महत्व को समझाने में सहायक सिद्ध होगी. विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रदर्शनी लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वालों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है.
 

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