उत्तराखंड में हाल ही में संपन्न हुई त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में एक बार फिर से कमल खिलता हुआ दिखाई दे रहा है उत्तराखंड की 358 जिला पंचायत सीटों में से 200 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है वही बात की जाए कांग्रेस की तो 83 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है इसके अलावा सबसे बड़ी संख्या निर्दलीय उम्मीदवारों की है.
उत्तराखंड में हाल ही में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हुए हैं उनका परिणाम जारी हो चुका है कुल मिलाकर 358 सीटों में से 200 से अधिक पर भाजपा समर्थित प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है वहीं कांग्रेस समर्थित राज्य उम्मीदवारों को भी जीत मिली है.
इन जिलों में को कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहा कांटे का मुकाबला
इसके अलावा निर्दलीयों को बड़ी संख्या में सफलता हासिल हुई है जीतने वाले अधिकांश प्रत्याशियों में से भारतीय जनता पार्टी की ओर अपना झुकाव जाहिर किया है उनमें से के सार्वजनिक रूप से भाजपा को समर्थन देने की घोषणा भी कर चुके हैं.
बता दे की देहरादून बागेश्वर पौड़ी अल्मोड़ा नैनीताल में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला रहा जबकि चमोली में मतदाताओं ने राजनीतिक दलों की बजाय निर्दलीय प्रत्याशियों पर भरोसा जाता है राज्य की राजधानी देहरादून के 30 जिला पंचायत सीटों पर चुनाव में 13 प्रभाजपा साथ पर कांग्रेस और 10 पर निर्दलीयों को जीत मिली है.
दिलचस्प रहा मुकाबला
पौड़ी जिले में मुकाबला काफी दिलचस्प रहा है यहां कुल मिलाकर 48 जिला पंचायत सीटों में से भाजपा को 18 कांग्रेस को 16 निर्दलीयों को चार सिम प्राप्त हुई है वही बात करें बागेश्वर जिले की 19 जिला पंचायत सीटों में से भाजपा ने 9 कांग्रेस ने छ और निर्दलीयों में चार पर जीत हासिल की है.
अल्मोड़ा में 45 सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस ने कि भाजपा ने 19 और निर्दलीयों ने पास सिम जीती है वही बात करें चमोली की तो कल 26 जिला पंचायत सीटों में से भाजपा को कर कांग्रेस को पांच वहीं 17 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है.
अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख बनाना राजनीतिक दलों के लिए चुनौती
अब उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी अधिक से अधिक अपने जिला पंचायत अध्यक्ष बनाना और ब्लॉक प्रमुख बनाना फिलहाल इस खेल में सबसे आगे भारतीय जनता पार्टी दिखाई दे रही है क्योंकि ज्यादा से ज्यादा निर्दलीय प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के प्रति अपनी श्रद्धा पहले ही दिखा चुके हैं.
इस लिहाज से यह माना जा रहा है कि उत्तराखंड के 12 जिलों में भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जा सकते हैं वहीं प्रदेश में 90 ब्लाक प्रमुख बने हैं जिनमें अधिकांश भाजपा समर्थित ब्लॉक प्रमुख बन सकते हैं तो एक तरह से कहेंगे कि उत्तराखंड में डबल इंजन की नहीं ट्रिपल इंजन की सरकार बनने जा रही है.
भाजपा कर सकती है तोड़-मरोड़कर की कोशिश
वहीं इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि भाजपा एक बार फिर से कांग्रेस के की बड़े दिग्गजों को तोड़कर अपनी ओर ला सकती है कांग्रेस के समर्थन से जीत जाए कहीं प्रत्याशी भाजपा में शामिल हो सकते हैं क्योंकि चुनाव किसी प्रकार का दल बदल कानून लागू नहीं होता है.
लिहाजा कांग्रेस के लिए अपना घर बचाना सबसे पहली जिम्मेदारी होगी. फिलहाल इस चुनाव के बाद एक बात साफ मानी जा रही है कि राज्य में एक बार फिर से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का जादू बरकरार रहा है.
उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव: एक बार फिर खिला कमल, 358 में से 200 सीटों पर कब्जा
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