उत्तराखंड के गांवों की बागडोर जिन हाथों में होती है, उन्हें हम ग्राम प्रधान के नाम से जानते हैं. ये न सिर्फ गांव की समस्याएं उठाते हैं बल्कि हर विकास कार्य के केंद्र में भी होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गांव के इतने बड़े पद पर बैठे प्रधान को सरकार कितनी सैलरी देती है और उनके काम क्या-क्या होते हैं?
ग्राम प्रधान की सैलरी कितनी होती है?
उत्तराखंड सरकार ग्राम प्रधान को हर महीने 3,500 रुपये का मानदेय देती है. इसके अलावा ग्राम प्रधान को कोई अन्य सरकारी भत्ता या सुविधा नहीं मिलती. न कोई वाहन, न कोई ऑफिस सुविधा और न ही किसी तरह का एक्स्ट्रा इंसेंटिव.
किन योजनाओं की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान पर होती है?
ग्राम प्रधान का काम सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह गांव के हर नागरिक की उम्मीदों और समस्याओं से जुड़ा होता है.
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उनकी प्रमुख जिम्मेदारियां होती हैं-
मनरेगा (MNREGA): गांव के बेरोजगार लोगों को रोजगार देने वाली इस योजना की निगरानी ग्राम प्रधान ही करते हैं.
राज्य वित्त आयोग और 15वें वित्त आयोग की राशि का उपयोग: इन फंड्स से गांव की सड़कें, नालियां, शौचालय, सामुदायिक भवन, खेल मैदान और अन्य जरूरी ढांचे बनाए जाते हैं.
स्वच्छता अभियान और स्वास्थ्य योजनाएं: गांव को स्वच्छ और स्वस्थ बनाए रखने में प्रधान की बड़ी भूमिका होती है.
शिक्षा और महिला सशक्तिकरण: स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति से लेकर महिला समूहों की गतिविधियों तक में ग्राम प्रधान का योगदान जरूरी होता है.
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ग्राम प्रधान चुनाव
हाल ही में उत्तराखंड में पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्राम प्रधान चुनाव संपन्न हुए. यह चुनाव बेहद दिलचस्प और करीबी मुकाबलों से भरा रहा. कई जगहों पर महज कुछ वोटों से जीत और हार तय हुई. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कुछ सीटों पर 5 से भी कम वोटों का अंतर रहा.
जिला पंचायत सदस्य को क्या?
वहीं, राज्य में जिला पंचायत सदस्यों को बोर्ड की हर मेटिंग के लिए 1,000 प्रति मीटिंग मानदेय के रूप में मिलता है. ये क्षेत्र में विकास कार्य के लिए ये राज्य व केंद्र वित्तीय योजनाओं की मदद से कार्य करते हैं. बताते चलें कि जिला पंचायत के सदस्य जिला पंचायत अध्यक्ष को चुनते हैं.
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