उत्तराखंड में हर साल होती लैंडस्लाइड, आपदाओं से होती है कई मौतें, पढ़ें रिपोर्ट

by Carbonmedia
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Uttarakhand News: उत्तराखंड में हर साल सैकड़ो आपदाएं आती हैं जिनमें सबसे ज्यादा आपदा मानसून सीजन में देखने को मिलती है जिसके कारण जान और माल दोनों का नुकसान होता है हालांकि मानसून सीजन से पहले राज्य आपदा प्रबंधन विभाग अन्य विभागों के साथ मिलकर मानसून सीजन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयारी करता है जिसको लेकर कई मॉक ड्रिल भी आयोजित होती है लेकिन प्रकृति के सामने सभी तैयारियां नाकाफी साबित होती है और हर साल आपदाओं के कारण कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं
 इस दौरान यहां रह रहे स्थानीय लोगों की जिंदगी भर की कमाई भी आपदा की भेंट चढ़ जाती है. प्रदेश में जिस समय मानसून दस्तक देता है उसे समय चार धाम यात्रा अपने चरम पर होती है और कई बार रास्ते से गुजर रहे श्रद्धाल आपदा का शिकार हो जाते हैं हैरानी की बात ये है कि समय-समय पर मौसम विभाग पूरे प्रदेश के लिए एक रोजाना एक फोरकास्ट जारी करता है जबकि हर जिला मुख्यालय में मौसम की अपडेट को लेकर हर 3 घंटे में अपडेट देता रहता है बावजूद इसके खराब मौसम होने पर भी यात्रा रोकी नहीं जाती जिसका खामियाजा श्रद्धालुओं को अपनी जान देकर भुगतना पड़ता है.
उत्तराखंड में अब तक की स्तिथिउत्तराखंड चार धाम यात्रा मार्ग में लैंडलाइन जोन की संख्या करीब 163 है, वहीं केदारनाथ में 2013 की आपदा के बाद पैदल रास्ते को भी ठीक किया गया था, इसके साथ ही केदारनाथ में पूरे पैदल मार्ग में खड़े पहाड़ों को काटकर रास्ते का निर्माण किया गया था. बता दें सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पैदल यात्रियों के लिए बने रास्ते में 13 लैंड स्लाइड जोन दर्ज हैं. पैदल मार्ग के अलावा ऋषिकेश से चारों धामों के मार्ग में भी लैंडस्लाइड जोन हैं.
इसके साथ ही केदारनाथ में छोटी लिनचोली और बड़ी लिनचोली में डेंजर जोन है जो हर साल आपदा के वक्त कई मौतों का गवाह बनता है.केदारनाथ पैदल मार्ग में अब तक की यात्रा में दो घटनाएं हो चुकी है जिसमें पांच लोगों की मौत हो चुकी है.
प्रबंधन विभाग हर साल करता है दावेहर साल मानसून सीजन से पहले राज्य आपदा प्रबंधन विभाग दावा करता है कि उसने यात्रा मार्ग सहित उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के सभी लैंडस्लाइड जोन और डेंजर जोन को चिन्हित किया है लेकिन ऐसे लैंडस्लाइड जोन पर बार-बार हादसे होते रहते हैं जो राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के दावों को भी खोखला साबित करता है. ताजा मामला तीन दिन पहले का है जब केदारनाथ पैदल मार्ग में बारिश के पानी के साथ बोल्डर गिरने की घटना सामने आई थी जिसमें दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी जबकि एक श्रद्धालु लापता बताया गया था इसके साथ ही दो श्रद्धालु घायल भी हुए थे.
वही मानसून भी अब उत्तराखंड की दहलीज पर खड़ा है और मानसून के दौरान आने वाली आपदाओं का खतरा भी बढ़ गया है और हर साल की तरह इस साल भी आपदा प्रबंधन विभाग तैयारी पूरी होने के दावे कर रहा है. उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटकों और साहसिक गतिविधियों के साथ ही चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं की  संख्या में इजाफा हुआ है और  ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमस्खलन, भूस्खलन और ग्लेशियर झील के फटने से होने वाली बाढ़ जैसी आपात स्थितियों में भी बढ़ोतरी हुई है 

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