41
Saamana On Amit Shah: महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना यूबीटी के बीच सियासी तकरार कम होने की उम्मीद न के बराबर है. ऐसा इसलिए कि अब शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे का अखबार सामना ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा महाराष्ट्र में हिंदू सम्राट बालासाहेब को लेकर दिए गए बयान को लेकर उन पर हमला बोला है.
सामना ने अपने संपादकीय में कहा, “अमित शाह भ्रम में न रहें. आज बालासाहेब ठाकरे जिंदा होते तो पीएम मोदी से बात का शाह का इस्तीफा मांग लेते. इतना ही नहीं, सामना ने दावा किया है कि अमित शाह देश के अब तक के सबसे कमजोर गृह मंत्री हैं. उनके कार्यकाल में भारत में सुरक्षा और कानून व्यवस्था पहले से ज्यादा खराब हुई है.”
’शाह का शान आतंकी हमले के बाद से फुस्स'
शिवसेना यूबीटी का मुखपत्र सामना ने अमित शाह को लेकर कहा है कि वो गुजरात में मोदी के हस्तक के तौर पर काम करते थे. साल 2014 में जब मोदी का दिल्ली में आगमन हुआ तो शाह वही भूमिका राष्ट्रीय स्तर पर निभाने लगे. दिल्ली में बैठकर अमित शाह, शान तो बहुत दिखाते हैं, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बाद से उनका वो शान फुस्स हो गया.
पहलगाम आतंकी हमले के आरोपी 26 हिंदू महिलाओं के माथे का सिंदूर पोंछकर ऐसे फरार हो गए कि आज तक उनका पता नहीं चला. अमित शाह को भी नहीं पता कि ये आतंकी कहां गए. क्या ये आतंकी हवा में गायब हो गए? जमीन में समा गए या बीजेपी में शामिल हो गए? इसका खुलासा शाह ने अभी तक नहीं किया है. वही, अमित शाह महाराष्ट्र में आकर हिंदू हृदय सम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे का नाम लेकर राजनीति कर रहे हैं.
क्या कहा था अमित शाह ने?
अमित शाह ने महाराष्ट्र में कहा था, ‘‘अगर बालासाहेब आज होते तो प्रधानमंत्री मोदी को गले से लगा लेते. शाह का ऐसा कहना बालासाहेब ठाकरे का अपमान है. इसके जवाब में सामना ने कहा, ‘यह शाह का भ्रम है. अगर बालासाहेब आज होते तो सबसे पहले गृहमंत्री अमित शाह पर 26 महिलाओं के माथे से सिंदूर पोंछने का आरोप लगाकर उनका इस्तीफा मांग लेते. सीधे प्रधानमंत्री मोदी को फोन करके वे उन्हें कड़ी फटकार लगाते. उनसे कहते कि 26 महिलाओं का सिंदूर मिटना गृह विभाग की निष्क्रियता और लापरवाही है. ऐसे असफल गृहमंत्री को तुरंत बर्खास्त करो.’’
गृहमंत्री को अच्छे इलाज की जरूरत
सच यह है कि अमित शाह ने हिंदू हृदय सम्राट को समझा ही नहीं है. उन्होंने बालासाहेब ठाकरे की प्रखर देशभक्त और हिंदुत्ववादी शिवसेना को तोड़ दिया. एकनाथ शिंदे और उनके गुर्गों को धमकाकर और पैसों के बल पर खरीद लिया. वे अब बालासाहेब का नाम ले रहे हैं, यह ‘महाराष्ट्रद्रोह’ है. अमित शाह को अच्छे इलाज की जरूरत है. बालासाहेब होते तो उन्हें ऐसा सख्त इलाज मिलता कि जीवन भर याद रहता!
ऐसा होना भी स्वाभाविक है, क्योंकि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सारे भ्रष्ट और घोटालेबाज लोग आज अमित शाह और मोदी के खास चमचे बन गए हैं. मोदी भारत को कांग्रेस मुक्त और भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहते थे, लेकिन मोदी ने बीजेपी को कांग्रेस बना दिया और कांग्रेस-राष्ट्रवादी के भ्रष्टाचारियों को बीजेपी में लाकर पवित्र कर दिया.
विशेष सत्र बुलाने की मांग खारिज
उद्धव ठाकरे के अखबार ने पहलगाम आतंकी हमला और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर देश के मन में कुछ सवाल हैं. इस पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. विपक्षी दलों की इस मांग को मोदी-शाह ने खारिज कर दिया. इस पर सामना का कहना है कि दोनों में सवालों का सामना करने की हिम्मत नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के दाहोद में जनसभाएं और यात्राएं कर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर राजनीति जरूर कर रहे हैं.
सामना ने अपने संपादकीय में कहा, “अमित शाह भ्रम में न रहें. आज बालासाहेब ठाकरे जिंदा होते तो पीएम मोदी से बात का शाह का इस्तीफा मांग लेते. इतना ही नहीं, सामना ने दावा किया है कि अमित शाह देश के अब तक के सबसे कमजोर गृह मंत्री हैं. उनके कार्यकाल में भारत में सुरक्षा और कानून व्यवस्था पहले से ज्यादा खराब हुई है.”
’शाह का शान आतंकी हमले के बाद से फुस्स'
शिवसेना यूबीटी का मुखपत्र सामना ने अमित शाह को लेकर कहा है कि वो गुजरात में मोदी के हस्तक के तौर पर काम करते थे. साल 2014 में जब मोदी का दिल्ली में आगमन हुआ तो शाह वही भूमिका राष्ट्रीय स्तर पर निभाने लगे. दिल्ली में बैठकर अमित शाह, शान तो बहुत दिखाते हैं, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बाद से उनका वो शान फुस्स हो गया.
पहलगाम आतंकी हमले के आरोपी 26 हिंदू महिलाओं के माथे का सिंदूर पोंछकर ऐसे फरार हो गए कि आज तक उनका पता नहीं चला. अमित शाह को भी नहीं पता कि ये आतंकी कहां गए. क्या ये आतंकी हवा में गायब हो गए? जमीन में समा गए या बीजेपी में शामिल हो गए? इसका खुलासा शाह ने अभी तक नहीं किया है. वही, अमित शाह महाराष्ट्र में आकर हिंदू हृदय सम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे का नाम लेकर राजनीति कर रहे हैं.
क्या कहा था अमित शाह ने?
अमित शाह ने महाराष्ट्र में कहा था, ‘‘अगर बालासाहेब आज होते तो प्रधानमंत्री मोदी को गले से लगा लेते. शाह का ऐसा कहना बालासाहेब ठाकरे का अपमान है. इसके जवाब में सामना ने कहा, ‘यह शाह का भ्रम है. अगर बालासाहेब आज होते तो सबसे पहले गृहमंत्री अमित शाह पर 26 महिलाओं के माथे से सिंदूर पोंछने का आरोप लगाकर उनका इस्तीफा मांग लेते. सीधे प्रधानमंत्री मोदी को फोन करके वे उन्हें कड़ी फटकार लगाते. उनसे कहते कि 26 महिलाओं का सिंदूर मिटना गृह विभाग की निष्क्रियता और लापरवाही है. ऐसे असफल गृहमंत्री को तुरंत बर्खास्त करो.’’
गृहमंत्री को अच्छे इलाज की जरूरत
सच यह है कि अमित शाह ने हिंदू हृदय सम्राट को समझा ही नहीं है. उन्होंने बालासाहेब ठाकरे की प्रखर देशभक्त और हिंदुत्ववादी शिवसेना को तोड़ दिया. एकनाथ शिंदे और उनके गुर्गों को धमकाकर और पैसों के बल पर खरीद लिया. वे अब बालासाहेब का नाम ले रहे हैं, यह ‘महाराष्ट्रद्रोह’ है. अमित शाह को अच्छे इलाज की जरूरत है. बालासाहेब होते तो उन्हें ऐसा सख्त इलाज मिलता कि जीवन भर याद रहता!
ऐसा होना भी स्वाभाविक है, क्योंकि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सारे भ्रष्ट और घोटालेबाज लोग आज अमित शाह और मोदी के खास चमचे बन गए हैं. मोदी भारत को कांग्रेस मुक्त और भ्रष्टाचार मुक्त बनाना चाहते थे, लेकिन मोदी ने बीजेपी को कांग्रेस बना दिया और कांग्रेस-राष्ट्रवादी के भ्रष्टाचारियों को बीजेपी में लाकर पवित्र कर दिया.
विशेष सत्र बुलाने की मांग खारिज
उद्धव ठाकरे के अखबार ने पहलगाम आतंकी हमला और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर देश के मन में कुछ सवाल हैं. इस पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. विपक्षी दलों की इस मांग को मोदी-शाह ने खारिज कर दिया. इस पर सामना का कहना है कि दोनों में सवालों का सामना करने की हिम्मत नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के दाहोद में जनसभाएं और यात्राएं कर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर राजनीति जरूर कर रहे हैं.