ऊना में कर्मचारियों का प्रदर्शन:बोले- 3 महीने से सैलरी नहीं मिली, कंपनी ने कहा- सरकार से नहीं मिला पैसा

by Carbonmedia
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ऊना में आज कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें तीन महीने से सैलरी नहीं मिली है। हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अंतर्गत पेखूबेला में स्थापित 32 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र फिर दिनों विवादों में आ गया है। यह पावर प्लांट इसी साल हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध मौत के बाद सुर्खियों में आया था। अब संयंत्र में काम करने वाले तकनीकी और ग्राउंड स्टाफ के करीब 24 कर्मचारियों को बीते तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है। इससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। कर्मचारी जसवीर ने बताया तीन महीने से सैलरी नहीं मिली। घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। बच्चों की स्कूल फीस तक अटक गई है। सरकार और कंपनी आपस में आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हैं, लेकिन भुगतना हमें पड़ रहा है। इस मामले पर संयंत्र का संचालन कर रही कंपनी के अधिकारी नील इंद्र राय ने कहा कम्पनी ने अपनी जेब से कर्मचारियों को पिछले करीब डेढ़ साल तक सैलरी दी है। सरकार से एक भी किस्त नहीं मिली है। अब कंपनी के भी संसाधन खत्म हो चुके हैं। घास काटने से रोका जा रहा है
बिना भुगतान के आगे काम चलाना असंभव है। वहीं दूसरी तरफ ग्रामीणों में भी इस सौर ऊर्जा संयंत्र के प्रबंधन के खिलाफ भारी रोष है। पेखूबेला गांव की महिला दर्शना देवी ने कहा कि यह जमीन पहले गांव की चरागाह हुआ करती थी। गांव के लोग पिछले करीब 50 साल से इस भूमि से घास काट कर अपने पशुओं का भरण पोषण करते आ रहे हैं। अब हमें वहां से घास भी नहीं काटने दिया जाता। अधिकारी अपनी मर्जी से नियम बनाते हैं। कभी गांव के लोगों को घास काटने के लिए बुला लेते हैं, कभी रोक देते हैं। उन्होंने कहा कि गांव के गरीब लोग इसी जमीन के आधार पर पशु पालन करके अपना गुजारा कर रहे हैं, लेकिन अब उनके रोजगार पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। ग्राम पंचायत झूडोवाल के उप प्रधान अजय कुमार का कहना है कि विकास के नाम पर स्थापित की गई बड़ी-बड़ी परियोजनाएं लोगों के लिए मुसीबत का कारण बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि इस सौर ऊर्जा संयंत्र में काम करने वाले गांव के लोगों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है, जिसके चलते उनके परिवारों का पालन पोषण खतरे में जा चुका है। गांव की महिलाएं इसी जमीन से घास काट कर पशुपालन का व्यवसाय चल रही थी लेकिन अब उन्हें भी यहां से खदेड़ने का काम किया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संचालन कर रही कंपनी को समय पर पैसे का भुगतान करें ताकि वह कर्मचारियों का वेतन दे सके। वहीं हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों को भी निर्देश दिए जाएं कि गांव की महिलाओं को यहां घास काटने की सुविधा भी बेरोक-टोक तरीके से मिल सके।

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