‘एजुकेट गर्ल्स’ NGO को 2025 के रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। एशिया का यह सर्वोच्च सम्मान पहली बार किसी भारतीय संस्था को मिला है। यह पुरस्कार एजुकेट गर्ल्स को स्कूल बीच में ही छोड़ चुकी लड़कियों को वापस शिक्षा से जोड़ने की पहल के लिए दिया है। इस पहले के चलते अब तक उन्होंने 2 करोड़ से भी ज्यादा बच्चियों को वापस स्कूल से जोड़ा है। ये सम्मान पाकर एजुकेट गर्ल्स का नाम सत्यजीत रे, एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, किरण बेदी, विनोबा भावे, दलाई लामा, मदर टेरेसा और ऑस्कर विजेता हायाओ मियाजाकी के साथ शामिल हो गया है। सैन फ्रांसिस्को से लौटकर की NGO की स्थापना एजुकेट गर्ल्स की स्थापना 2007 में सफीना हुसैन ने की थी। वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएट हैं और 2007 तक सैन फ्रांसिस्को में काम कर रही थीं। इसके बाद उन्होंने भारत लौटकर महिला निरक्षरता को दूर करने का बीड़ा उठाया। अब तक 30 हजार गांवों में किया काम शुरुआत राजस्थान से करते हुए, Educate Girls ने सबसे पहले ऐसे समुदायों की पहचान की जहां लड़कियों की शिक्षा न के बराबर थी। फिर इन समुदायों की लड़कियों का दाखिला स्कूलों में कराना शुरू किया। 2015 में, संगठन ने शिक्षा क्षेत्र में दुनिया का पहला डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड (DIB) शुरू किया। इसका मतलब है कि इन्वेस्टर्स डेवलेपमेंट के प्रोजेक्ट को फंड करते हैं, और तय आउटकम आने पर उन्हें रिटर्न भी मिलता है। ये पायलट प्रोजेक्ट 50 गांवों से शुरू हुआ और धीरे-धीरे भारत के सबसे वंचित इलाकों के 30,000 से ज्यादा गांवों तक पहुंचा। Educate Girls ने प्रगति (Pragati) ओपन-स्कूलिंग कार्यक्रम भी शुरू किया, जो 15 से 29 वर्ष की महिलाओं को अपनी शिक्षा पूरी करने की सुविधा देता है। इसके पहले बैच में 300 बच्चियां थीं, जो अब बढ़कर 31,500 से अधिक हो चुकी हैं। एजुकेट गर्ल्स अब तक 30 हजार से ज्यादा गांवों में काम कर चुकी है। 55,000 से अधिक सामुदायिक वालंटियर्स (टीम बालिका ) की मदद से 20 लाख से ज्यादा बच्चियों को स्कूल वापिस लाने और 24 लाख से ज्यादा बच्चों की बेहतर पढ़ाई में मदद दी है। आने वाले समय में संस्था का लक्ष्य है कि एक करोड़ से ज्यादा बच्चों तक पहुंचा जाए और शिक्षा के जरिए गरीबी और अशिक्षा के चक्र को तोड़ा जाए। क्या है रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड उन व्यक्तियों और संस्थाओं को दिया जाता है, जिन्होंने साहस और अलग तरीके से समाज में गहरा बदलाव लाने का काम किया हो। इस साल भारत की एजुकेट गर्ल्स के साथ मालदीव की शाहिना अली और फिलीपींस के फादर फ्लावियानो एल. विलनुएवा को भी यह पुरस्कार मिला है। शाहिना अली को प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ उनकी लड़ाई और मालदीव के नाजुक समुद्री तंत्र को बचाने के लिए सम्मानित किया गया है। वहीं फादर विलनुएवा को मनीला के हजारों बेघर और गरीब लोगों की मदद के लिए यह अवॉर्ड मिला है। 7 नवंबर को मिलेगा सम्मान 2025 के सभी विजेताओं को यह सम्मान 7 नवंबर 2025 को फिलीपींस की राजधानी मनीला के मेट्रोपॉलिटन थिएटर में आयोजित 67वीं रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड सेरेमनी में औपचारिक रूप से दिया जाएगा। इस मौके पर उन्हें मेडल और सर्टिफिकेट दिए जाएंगे। कार्यक्रम को फाउंडेशन के आधिकारिक फेसबुक और यूट्यूब चैनल पर लाइव देखा जा सकेगा। ———————- ये खबरें भी पढ़ें… आर्मी ट्रेनिंग में दिव्यांग हुए कैडेट्स को भी ECHS इलाज: रक्षा मंत्रालय ने दी मंजूरी; अब तक चपरासी से भी कम पेंशन मिलती थी सेना की ट्रेनिंग के दौरान चोट लगने या दूसरे मेडिकल कारणों से आर्मी से बाहर यानी बोर्ड आउट किए गए ऑफिसर कैडेट्स को अब पूर्व सैनिक स्वास्थ्य योजना (ECHS) के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाएगी। रक्षा मंत्रालय ने इस फैसले को मंजूरी दे दी है। अब एक्स कैडेट्स को भी एक्स सर्विसमैन की तरह इलाज की सुविधा मिलेगी। पूरी खबर पढ़ें…
‘एजुकेट गर्ल्स’ NGO को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड 2025:सम्मान पाने वाली पहली भारतीय संस्था; 20 लाख से ज्यादा बच्चियों को वापस स्कूल लौटाया
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