एमजीयूजी और एम्स में कामयाब हुईं रेयर कैंसर सर्जरी, गोरखपुर बन रहा नया मेडिकल हब

by Carbonmedia
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गोरखपुर अब सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी ही नहीं, बल्कि मेडिकल हब के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है. यहां के दो बड़े मेडिकल ऑर्गनाइजेशंस महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) और गोरखपुर एम्स ने हाल ही में बेहद मुश्किल और रेयर कैंसर की सर्जरी की हैं. कन्याकुमारी से आए 76 साल के बुजुर्ग मरीज के रेयर पैरोटिड ग्लैंड कैंसर से लेकर गोरखपुर की एक महिला के फुटबॉल जितने बड़े किडनी ट्यूमर को इन दोनों संस्थानों ने ट्रीट किया है. 
एमजीयूजी में हुई रेयर पैरोटिड ग्लैंड कैंसर की सर्जरी
पूर्वांचल के लोगों को कैंसर के मरीजों को अब इलाज के लिए मुंबई-दिल्ली जैसे बड़े शहरों की भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी. गोरखपुर के महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय (एमजीयूजी) के महायोगी गोरखनाथ चिकित्सालय ने हाल ही में बेहद मुश्किल कैंसर सर्जरी को अंजाम दिया है. यहां कन्याकुमारी से आए 76 साल के बुजुर्ग मरीज के रेयर पैरोटिड ग्लैंड कैंसर का ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया. यह सर्जरी कैंसर सर्जन डॉ. संजय माहेश्वरी के नेतृत्व में हुई.
मरीज को यह थी दिक्कत
इस मरीज को लार ग्रंथि में रेयर और मुश्किल कैंसर था. कई जगह इलाज कराने के बाद भी मरीज को राहत नहीं मिली थी. डॉक्टरों की टीम ने सुप्राहायॉइड ब्लॉक विच्छेदन के साथ इस मुश्किल सर्जरी को अंजाम दिया. सर्जरी के बाद मरीज की हालत स्थिर है और वह तेजी से ठीक हो रहे हैं. 
गोरखपुर एम्स में हुई 3.5 किलो के ट्यूमर की सर्जरी
वहीं, गोरखपुर एम्स ने भी बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यहां के डॉक्टरों ने किडनी कैंसर से जूझ रही 33 साल की दीपिका कुमारी के पेट से फुटबॉल के आकार का ट्यूमर निकाला, जिसका वजह करीब 3.5 किलोग्राम था. गोरखपुर के अमलेरी की रहने वाली दीपिका करीब तीन महीने से पेट दर्द, बुखार और कमजोरी से परेशान थीं. कई अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद भी उनकी बीमारी का सही पता नहीं चल पाया था. उनके पति चंपू राय उन्हें गोरखपुर एम्स के सर्जरी विभाग में लेकर पहुंचे. यहां सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव गुप्ता और उनकी टीम ने मरीज का सिटी स्कैन किया, जिसमें बाईं किडनी में फुटबॉल जितना बड़ा ट्यूमर दिखा. यह ट्यूमर पेट की प्रमुख नस इन्फीरियर वेना कावा से चिपका हुआ था और किडनी की नस (रीनल वेन) में भी फैलने का खतरा था. इस ट्यूमर को निकालना बेहद जोखिम भरा था.
1 अगस्त को हुई थी सर्जरी
डॉ. गौरव गुप्ता ने अपनी टीम के साथ कई जांच कीं और एनेस्थेटिया विभाग के डॉक्टरों से इस केस पर चर्चा की. 1 अगस्त को तीन यूनिट ब्लड के साथ सर्जरी की गई. सर्जरी के दौरान 30×25 सेमी के ट्यूमर को निकालना बड़ी चुनौती थी. ट्यूमर का वजन 3.5 किलोग्राम था और यह पेट की मुख्य नस से चिपका हुआ था. इसके बावजूद सर्जरी टीम ने इसे सफलतापूर्वक हटा दिया. अब दीपिका की हालत स्थिर है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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